हिंदू पंचांग का आखिरी महीना फाल्गुन सोमवार से शुरू हो गया है। ये 6 फरवरी से 7 मार्च तक रहेगा। इस महीने में महाशिवरात्रि से लेकर होली तक कई प्रमुख त्योहार मनाए जाएंगे। इसके अलावा फाल्गुन माह के दौरान भगवान श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से फलदायी माना जाती है।
बीते हिंदी महीने, माघ में स्नान-दान का महत्व था। तो अब फाल्गुन मास पूजा-पाठ वाला रहेगा। इस महीने श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। इस दौरान कई तरह से भगवान कृष्ण के श्रृंगार किए जाते हैं।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि फाल्गुन महीने के दौरान भगवान विष्णु की गोविन्द नाम से पूजा करनी चाहिए। यानी श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है। इस महीने भगवान कृष्ण के सभी रूपों का पूजन करना चाहिए। जैसे बाल रूप में लड्डू गोपाल, युवा रूप में गाय चराने वाले गोविंद और योगीराज कृष्ण यानी अर्जुन को गीता का ज्ञान देने वाले भगवान श्रीकृष्ण के पूर्ण रूप को पूजना चाहिए।
चंद्र पूजा और अर्घ्य
फाल्गुन मास में चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है। इस महीने की चंद्रमा की पूजा करने से बीमारियां खत्म होती हैं। मन शांत रहता है। इस महीने पानी में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, मौली, अष्टगंध, फूल और नैवेद्य चढ़ाकर चंद्रमा को धूप-दीप दर्शन करवाकर आरती करनी चाहिए। इस तरह से चंद्र पूजा करने से बीमारियां दूर होने लगती हैं।
फाल्गुन में रहेंगे ये व्रत त्योहार
9 फरवरी को संकष्टी चतुर्थी, 13 को कुंभ संक्रांति और सीताष्टमी रहेगी। इसके दो दिन बाद 16 फरवरी को विजया एकादशी व्रत किया जाएगा। उसके एक दिन बाद ही यानी 18 तारीख को महाशिवरात्रि पर्व रहेगा। फिर 20 को सोमवती अमावस्या रहेगी। 23 फरवरी को विनायकी चतुर्थी व्रत किया जाएगा।
26 फरवरी रविवार को भानु सप्तमी रहेगी। 27 फरवरी को होलाष्टक शुरू हो जाएगा। जो होलिका दहन के साथ खत्म होगा। इस दौरान 3 मार्च को आमलकी एकादशी यानी रंगभरी ग्यारस रहेगी। 4 तारीख को गोविन्द द्वादशी और प्रदोष व्रत किया जाएगा। 7 मार्च को होलिका दहन के साथ फाल्गुन महीना खत्म हो जाएगा।
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