22 जून, बुधवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इस नक्षत्र में ये 6 जुलाई तक रहेगा। इन 15 दिनों में आषाढ़ महीने का कृष्ण और शुक्ल पक्ष रहेगा। बुध की राशि में सूर्य होने और बुधवार को ही नक्षत्र परिवर्तन होने से इस बार बारिश से किसान और खेती से जुड़े बिजनेस करने वालों के लिए समय अच्छा रहेगा। ग्रंथों में कहा गया है कि जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है तो धरती रजस्वला होती है। यानी इसमें बीज बोने का सही समय होता है।
आर्द्रा नक्षत्र के देवता रुद्र
आर्द्रा नक्षत्र के देवता रूद्र हैं। जो कि आंधी, तूफान के स्वामी हैं। ये कल्याणकारी भगवान शिव का ही रूप हैं। इस नक्षत्र का स्वामी राहू है। जो कि धरती का उत्तरी ध्रुव भी है। इस नक्षत्र में जानवरों से जुड़े काम किए जाते हैं। ये उर्ध्वमुख नक्षत्र है। यानी इस नक्षत्र में ऊपर की ओर गति करने वाले काम किए जाते हैं। इसलिए जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में होता है तभी बीज बोए जाते हैं और खेती की शुरुआत होती है। इसलिए ज्योतिषीयों का कहना है कि आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य के आने से बारिश का मौसम शुरू हो जाता है।
सूर्य की चाल से ही बदलती हैं ऋतुएं
सूर्य किसी भी राशि में एक महीने तक रहता है। इस तरह 2 राशियां बदलने पर मौसम भी बदल जाता है। जैसे सूर्य जब वृष और मिथुन राशि में रहता है तब 15 मई से ग्रीष्म ऋतु शुरू हो जाती है। इसके बाद वर्ष ऋतु के दौरान कर्क और सिंह राशि में सूर्य रहता है। फिर कन्या और तुला राशि में जब सूर्य रहता है तो शरद ऋतु होती है। इसके बाद वृश्चिक और धनु राशि में सूर्य के चलते हेमंत और मकर-कुंभ में रहते हुए शिशिर ऋतु होती है। फिर मीन और मेष राशि में जब सूर्य होता है तो वसंत ऋतु रहती है।
सूर्य को संसार की आत्मा कहते हैं
डॉ. मिश्र बताते हैं कि ज्योतिष और भारतीय संस्कृति में सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान सूर्य ऊर्जा के प्रतीक हैं और आरोग्य के कारक हैं। साथ ही भगवान सूर्य को संसार की आत्मा कहा जाता है और यह प्रकृति का केन्द्र हैं। सूर्य के नक्षत्र परिवर्तन के दिन साधु-संतों के साथ ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन कराकर व वस्त्र दान करने के साथ गायों को हरा चारा खिलाना चाहिए। पक्षियों के लिए घौसले भी लगाने चाहिए। विष्णु और शिव की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बनी रहती है।
सूरज को अर्घ्य देने से बढ़ती है उम्र
सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में आने पर खीर-पूड़ी और कई तरह के पकवान बनाकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर पूजा और स्वागत करते हैं। मान्यता है कि इस परंपरा से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र भी बढ़ती है। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि आर्द्रा नक्षत्र पर राहु का विशेष प्रभाव रहता है। जो कि मिथुन राशि में आता है। जब सूर्य सूर्य इस नक्षत्र में होता है तब पृथ्वी रजस्वला होती है। ये नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है। इसे खेती के कामों में मददगार माना जाता है।
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