आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र 30 जून से 8 जुलाई तक रहेंगे। एक साल में चार नवरात्र आते हैं। इनमें माघ और आषाढ़ मास आने वाली नवरात्रि गुप्त होती है। इन दिनों में दस महाविद्याओं की आराधना होती है। ये दस महाविद्याएं हैं- काली, तारा देवी, त्रिपुर-सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरी भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी व कमला देवी।
एकांत या गुप्त रूप से होती है साधना
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि गुप्त नवरात्र में खासतौर से तंत्र साधना और मंत्र सिद्धि की जाती है। इनमें महाविद्याओं की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ ही करनी चाहिए। साथ ही पूरे नियमों का पालन करना चाहिए। गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा-अर्चना सबके सामने नहीं करते हुए, गुप्त रूप से कहीं एकांत में की जाती है। इन दिनों में कोई खास इच्छा के पूरी होने की कामना से ही दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
किन बातों का ध्यान रखें
इस नवरात्र में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। तामसिक चीजों से बचना चाहिए। घर में साफ-सफाई का ध्यान रखें। तामसिक भोजन न करें। फलाहार करें। बुरे विचारों और गलत कामों से बचें। घर में क्लेश न करें।
नौ दिन व्रत रखने वाले साधकों को गंदे कपड़े नहीं पहनने चाहिए। नमक और अन्न नहीं खाना चाहिए। दिन में सोना नहीं चाहिए। किसी को भी अपशब्द नहीं बोलना चाहिए। साधक को दोनों समय देवी की आरती करनी चाहिए। इन दिनों में दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष लाभदायी होता है।
ऋतुओं के संधिकाल में आते हैं नवरात्र
चार नवरात्र ऋतुओं के संधिकाल में आते हैं। संधिकाल यानी एक ऋतु के जाने के और दूसरी ऋतु के आने समय। ऐसे समय में मौसमी बीमारियों का असर बढ़ जाता है। इस समय में खान-पान से संबंधित सावधानी रखनी चाहिए। नवरात्र में व्रत-उपवास करने से खान-पान के संबंध में होने वाली लापरवाही से बचा जा सकता है। इन दिनों में ऐसे खाने से बचना चाहिए, जो आसानी से पचता नहीं है। अधिक से अधिक फलाहार करना चाहिए।
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