जून को तीसरा सप्ताह खगोल, ज्योतिष और धर्म के नजरिये से बहुत खास रहेगा। इसमें मंगलवार से शुक्रवार तक हर दिन किसी न किसी वजह से खास रहेगा। 21 जून को सूर्य पूरी तरह कर्क रेखा पर आ जाएगा। जिससे ये साल का सबसे बड़ा दिन रहेगा और रात सबसे छोटी रहेगी। इस दिन कुछ जगहों पर दोपहर में थोड़ी देर के लिए परछाई भी गायब हो जाएगी।
22 जून को सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेगा जिससे बारिश का मौसम शुरू हो जाएगा। फिर 23 जून को खरीदारी और नई शुरुआत के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा और 24 तारीख को एकादशी पर व्रत और दान करने से महापुण्य मिलेगा।
खगोलीय घटना: सूर्य कर्क रेखा पर
21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत रहेगा। जिससे धरती के उत्तरी गोलार्द्ध में दिन सबसे बड़ा और रात सबसे छोटी होगी। इस दिन कर्क रेखा के नजदीक मौजूद शहरों में दोपहर तकरीबन 12 से साढ़े 12 के आसपास जब सूर्य आसमान के बीच में होगा तब थोड़ी देर के लिए परछाई गायब हो जाएगी।
सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश
मिथुन संक्रांति के बाद अब सूर्य 22 जून को नक्षत्र बदलकर आर्द्रा में प्रवेश कर जाएगा। जिससे बारीश का मौसम शुरू हो जाएगा। इस नक्षत्र में सूर्य तकरीबन 15 दिनों तक रहता है। सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में होने से देश में कई जगहों पर मानसून आ चूका होगा। ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि आर्द्र यानी गीला। इसलिए जब सूर्य इस नक्षत्र में होता है तब धरती कई जगहों पर ज्यादा पानी बरसता है।
खरीदारी और नई शुरुआत का मुहूर्त
23 जून, गुरुवार को तिथि, वार और नक्षत्र से मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनेगा। ये शुभ योग पूरे दिन और रातभर रहेगा। साथ ही इस दिन गुरु, शुक्र और शनि अपनी ही राशियों में रहेंगे। इस दिन जया तिथि यानी दशमी पूरे दिन रहेगी। इस शुभ संयोग के चलते प्रॉपर्टी खरीदी-बिक्री, हर तरह की खरीदारी, निवेश, लेन-देन और नए कामों की शुरुआत करना बहुत ही शुभ रहेगा। इस तरह हर शुभ काम के पूरे दिन शुभ संयोग रहेगा।
व्रत और स्नान-दान पर्व
24 जून, शुक्रवार को आषाढ़ महीने की योगिनी एकादशी रहेगी। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करने से पुण्य मिलता है। इसके बाद पीपल में जल चढ़ाने और पूजा करने से पितर संतुष्ट होते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा और पूरे दिन एकादशी व्रत रखने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन जरुरतमंद लोगों को खाना खिलाने, कपड़े, जूते-चप्पल और छाता दान करने से महादान और कई यज्ञ करने जितना पुण्य फल मिलता है।
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