उत्तराखंड के चारधामों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख 26 जनवरी को घोषित हो गई है। बद्रीनाथ के कपाट 27 अप्रैल की सुबह 7.10 बजे भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। इससे पहले गाड़ू घड़ा तेल कलश की यात्रा 12 अप्रैल से शुरू होगी। 18 फरवरी को केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख घोषित होगी।
श्री बद्री-केदार मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ के मुताबिक, 26 जनवरी (बसंत पंचमी) को राजदरबार नरेंद्र नगर में धार्मिक समारोह में राजपुरोहित आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल ने पंचांग की मदद से बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख निकाली और महाराजा मनुजयेंद्र शाह ने कपाट खुलने की तारीख की घोषणा की।
अगले महीने महाशिवरात्रि (18 फरवरी) पर केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख तय की जाएगी। हर साल अक्षय तृतीया पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोले जाते हैं। इस बार अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को है।
ठंड के दिनों में बंद रहते हैं उत्तराखंड के चारधाम मंदिर
बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर शीतकाल में भक्तों के लिए बंद रहते हैं, क्योंकि यहां ठंडक काफी अधिक बढ़ जाती है, बर्फबारी होती है, मौसम इंसानों के लिए प्रतिकूल हो जाता है। हर साल गर्मी के दिनों में इन चारों मंदिरों कपाट भक्तों के लिए खोले जाते हैं और शीत ऋतु की शुरुआत के समय तक खुले रहते हैं।
कपाट बंद होने के बाद नारद मुनि करते हैं बद्रीनाथजी की पूजा
बद्रीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी भूवनचंद्र उनियाल कहते हैं कि बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद यहां नारद मुनि पूजा-पाठ का दायित्व संभालते हैं। जब धाम के कपाट खुले रहते हैं, तब यहां नर यानी रावल पूजा करते हैं और बंद होने पर नारद जी पूजा करते हैं। इस मंदिर के पास ही लीलाढुंगी नाम की एक जगह है। यहां नारद जी का प्राचीन मंदिर है। पिछले साल यहां 17 लाख से ज्यादा भक्त पहुंचे थे।
बद्रीनाथ धाम से जुड़ी खास बातें
पुराने समय में भगवान विष्णुजी ने इसी क्षेत्र में तपस्या की थी। उस समय महालक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर विष्णुजी को छाया प्रदान की थी।
लक्ष्मीजी के इस सर्मपण से भगवान प्रसन्न हुए। विष्णुजी ने इस जगह को बद्रीनाथ नाम से प्रसिद्ध होने का वरदान दिया था।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक नर-नारायण ने बद्री नामक वन में तप की थी। यही उनकी तपस्या स्थली है।
महाभारत काल में नर-नारायण ने श्रीकृष्ण और अर्जुन के रूप में अवतार लिया था।
यहां श्री योगध्यान बद्री, श्री भविष्य बद्री, श्री वृद्ध बद्री, श्री आदि बद्री इन सभी रूपों में भगवान बद्रीनाथ यहां निवास करते हैं।
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