भगवान सूर्य देव को समर्पित रथ सप्तमी का व्रत माघ महीने के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए स्नान, दान, होम, पूजा से हजार गुना अधिक फल मिलता है। ये इस बार 28 जनवरी को है। रथ सप्तमी के दिन सूर्योदय के समय तीर्थ स्नान के लिए जाते हैं। ये माना जाता है कि इस समय के दौरान तीर्थ स्नान करने पर बीमारियों से मुक्ति मिलती है और उसे एक अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इस कारण रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।
पुराणों में माघ सप्तमी का महत्व
ब्रह्म, स्कंद, शिव, अग्नि, मत्स्य, नारद और भविष्य पुराण में इस दिन का महत्व बताया गया है। इन पुराणों में बताया गया है कि माघ महीने के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि पर तीर्थ-स्नान और सूर्य पूजा से बीमारियां दूर होती हैं साथ ही उम्र भी बढ़ती है। इस दिन किए गए दान का अक्षय फल मिलता है। साथ ही इस दिन व्रत करने से संतान सुख मिलता है और मनोकामना भी पूरी होती है।
लाल फूल और धूप से पूजा
स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय सूर्य भगवान को अर्घदान दिया जाता है। अर्घदान का अनुष्ठान सूर्य भगवान को कलश से धीरे-धीरे जल अर्पण करके किया जाता है। इस अनुष्ठान के दौरान भक्तों को नमस्कार मुद्रा में होना चाहिए और सूर्य भगवान की दिशा के तरफ मुख होना चाहिए।
घी के दीपक, लाल फूल, कपूर और धूपबत्ती से भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए। ये माना जाता है कि ये सभी अनुष्ठान करने से सूर्य भगवान अच्छे स्वास्थ्य दीर्घायु और सफलता का वरदान देते हैं।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.