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जीवन में सुख हो या दुख, हमें हर परिस्थिति में सकारात्मक रहना चाहिए। मुश्किल समय में भी निराश नहीं होना चाहिए। जो लोग इस बात का ध्यान रखते हैं, वे हमेशा प्रसन्न रहते हैं और हालात को आसानी से सुधार लेते हैं। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। जानिए ये कथा...
एक राजा का फलों का एक बाग था। एक सेवक रोज बाग से फल तोड़ता और राजा के लिए लेकर जाता था। एक दिन बाग में नारियल, अमरूद और अंगूर साथ पक गए। सेवक सोचने लगा कि आज कौन सा फल राजा के लिए लेकर जाना चाहिए।
बहुत सोचने के बाद सेवक ने अंगूर तोड़े और एक टोकरी भर ली। अंगूर की टोकरी लेकर वह राजा के पास पहुंचा। उस समय राजा चिंतित थे और कुछ सोच रहे थे। सेवक ने टोकरी राजा के सामने रख दी और वह थोड़ी दूर बैठ जाकर गया।
सोचते हुए राजा ने टोकरी में से एक-एक अंगूर खाना शुरू किए। कुछ देर बाद राजा ने एक-एक अंगूर सेवक के ऊपर फेंकना शुरू कर दिए। जब-जब सेवक को अंगूर लगता तो वह कह रहा था कि भगवान तू बड़ा दयालु है। तेरा बहुत-बहुत धन्यवाद।
अचानक राजा ने सेवक की ये बात सुनी तो उसने खुद को संभाला और पूछा कि मैं तुम्हारे ऊपर बार-बार अंगूर फेंक रहा हूं और तुम गुस्सा न होकर भगवान को दयालु क्यों बोल रहे हो?
सेवक ने राजा से कहा कि महाराज आज बाग में नारियल, अमरूद और अंगूर तीनों फल पके थे। मैं सोच रहा था कि आपके लिए आज क्या लेकर जाऊं? तभी मुझे लगा कि आज अंगूर लेकर जाना चाहिए। अगर मैं नारियल या अमरूद लेकर आता तो आज मेरा हाल और बुरा हो जाता। इसीलिए में भगवान को दयालु कह रहा हूं। उस समय मेरी बुद्धि ऐसी की कि मैं अंगूर लेकर आ गया।
सीख - इस कथा की सीख यह है कि हमें हर हाल में अपनी सोच सकारात्मक बनाए रखनी चाहिए। हालात जैसे भी हों, भगवान पर भरोसा रखें और धन्यवाद जरूर कहें।
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