गुरुवार, 30 मार्च को चैत्र नवरात्रि की नवमी है। इस दिन श्रीराम का प्रकट उत्सव भी मनाया जाता है। नवरात्रि की नवमी पर देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप की पूजा की जाती है। इस तिथि पर देवी मां के और श्रीराम के मंत्रों का जप और ध्यान करना चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, नवरात्रि के नौ दिनों में की गई देवी पूजा का फल नवमी तिथि पर देवी सिद्धिदात्री प्रदान करती हैं। नवमी तिथि पर छोटी कन्याओं को भोजन करने की भी परंपरा है। खाना खिलाने के बाद कन्याओं का पूजन किया जाता है। कन्याओं को लाल चुनरी, दक्षिणा देनी चाहिए। पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी चीजें दान करें।
मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान रहती हैं। इनका वाहन सिंह यानी शेर है। मां सिद्धिदात्री के चार हाथ हैं। एक दाहिने हाथ गदा और दूसरे हाथ में चक्र है। एक बाएं हाथ में कमल और दूसरे हाथ में शंख है।
ऐसे कर सकते हैं सिद्धिदात्री देवी की पूजा
नवमी तिथि पर सुबह जल्दी उठें। स्नान के बाद घर के मंदिर में पूजा करने का संकल्प लें। देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा करें। देवी का जल से और पंचामृत से अभिषेक करें। लाल चुनरी, चूड़ियां, लाल फूल, कुमकुम, सिंदूर आदि चीजें चढ़ाएं। मौसमी फल, नारियल, मिठाई का भोग लगाएं। देवी मंत्रों जप और ध्यान करें।
दुं दुर्गायै नम:, मंत्र का जप कर सकते हैं। मंत्र जप रुद्राक्ष की माला की मदद से करें। पूजा करने वाले भक्त को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जप के लिए किसी ऐसी जगह का चयन करें, जहां शांति और पवित्रता हो।
आप चाहें तो इस मंत्र का भी जप कर सकते हैं-
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्येत्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते।।
ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
इन मंत्रों के अलावा दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जा सकता है। देवी कथाएं पढ़ सकते हैं। इस दिन किसी गोशाला में धन और हरी घास का दान करें।
देवी सिद्धिदात्री की पूजा से मिलती हैं सिद्धियां
देवी सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सिद्धियां और सफलता देती हैं। मान्यता है कि शिव जी ने भी तपस्या से माता सिद्धिदात्री को प्रसन्न किया और उनसे आठ सिद्धियां हासिल की थीं। चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी तिथि पर देवी सिद्धिदात्री की पूजा के साथ नौ दिवसीय नवरात्रि का समापन होता है। हनुमान चालीसा में अष्टसिद्धियों का जिक्र आता है। ये अष्टसिद्धियां हैं- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व। ये सभी सिद्धियां मां सिद्धिदात्री की आराधना से भी प्राप्त की जा सकती हैं। हनुमान जी भी अष्टसिद्धि और नवनिधि प्रदान करने वाले देवता माने गए हैं।
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