हमें जब भी कोई नया और बड़ा काम करना हो तो घर के बड़ों का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए। बड़ों के अनुभव, आशीर्वाद, सलाह और मार्गदर्शन से हम कई समस्याओं से बच सकते हैं। इसीलिए महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने पांडवों भीष्म से ज्ञान लेने की सलाह दी थी।
महाभारत युद्ध खत्म हो चुका था युधिष्ठिर इस बात से बहुत दुखी थे कि उन्होंने अपने कुटुंब के लोगों को मारकर युद्ध जीता है। युधिष्ठिर राजा बनने वाले थे, लेकिन उनका मन बहुत विचलित था।
उस समय श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को से कहा कि आप राजा बनने वाले हैं। राजा को हर पल संघर्ष ही करना पड़ता है। अगर आप ये सोच रहे हैं कि राजा बनने के बाद आपको सुख ही सुख मिलेगा तो ये बात सही नहीं है। राजा बनना एक बड़ी जिम्मेदारी है। राज धर्म का पालन करना बहुत मुश्किल काम है। आप सभी भाइ और द्रौपदी मेरे साथ चलें, हम भीष्म पितामह के पास चलते हैं।
भीष्म अभी बाणों की शय्या पर लेटे हैं, लेकिन हम उनसे राज धर्म से जुड़ा ज्ञान हासिल कर सकते हैं। पितामह का ज्ञान और मार्गदर्शन आपको भविष्य में बहुत काम आएगा।
श्रीकृष्ण के साथ सभी पांडव भीष्म के पास पहुंच गए। श्रीकृष्ण ने भीष्म से निवदेन किया कि वे पांडवों को राज धर्म का ज्ञान दें, ताकि ये अपना राजपाठ अच्छी तरह चला सकें।
इसके बाद श्रीकृष्ण की बात मानकर भीष्म ने पांडवों को राजधर्म का ज्ञान दिया। भीष्म के ज्ञान की मदद से ही युधिष्ठिर ने राजपाठ चलाया।
जीवन प्रबंधन
इस किस्से में श्रीकृष्ण हमें सीख दे रहे हैं कि जब भी हम बड़े काम की शुरुआत करते हैं, हमें बड़ों का आशीर्वाद और सलाह जरूर लेनी चाहिए। ऐसा करने से हम कई समस्याओं से बच सकते हैं और अपनी जिम्मेदारियां अच्छे ढंग से निभा सकते हैं।
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