1 फरवरी को माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों से मिलकर चार शुभ योग बन रहे हैं। इस संयोग में व्रत और दान करने से मिलने वाला पुण्य और बढ़ जाएगा। पुराणों में इसे जया एकादशी कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करने से समृद्धि बढ़ती है और जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप और दोष खत्म होते हैं।
चार शुभ योगों वाला दिन
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि बुधवार 1 फरवरी के ग्रह, नक्षत्रों से इंद्र और अमृत योग बन रहे हैं। इनके अलावा गुरु के अपनी ही राशि यानी मीन में होने से हंस नाम का महापुरुष योग बनेगा। वहीं, तिथि, वार और नक्षत्र से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सितारों की इस शुभ स्थिति में किया गया दान और व्रत अक्षय पुण्य देने वाला रहेगा। पूजा का शुभ फल भी और बढ़ जाएगा।
एकादशी का महत्व
भगवान शिव ने महर्षि नारद को उपदेश देते हुए कहा कि एकादशी महान पुण्य देने वाला व्रत है। श्रेष्ठ मुनियों को भी इसका अनुष्ठान करना चाहिए। एकादशी व्रत के दिन का निर्धारण जहां ज्योतिष गणना के मुताबिक होता है, वहीं उनका नक्षत्र आगे-पीछे आने वाली अन्य तिथियों के साथ संबध व्रत का महत्व और बढ़ाता है।
पुराणों में माघ महीने की एकादशी के बारे में कहा गया है कि इस व्रत में भगवान विष्णु के माधव रूप की पूजा करनी चाहिए। माघ मास की एकादशी का व्रत करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस व्रत से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।
व्रत में क्या खा सकते हैं और क्या नहीं
इस व्रत में एक समय फलाहारी भोजन ही किया जाता है। व्रत करने वाले को किसी भी तरह का अनाज सामान्य नमक, लाल मिर्च और अन्य मसाले नहीं खाने चाहिए। कुट्टू और सिंघाड़े का आटा, रामदाना, खोए से बनी मिठाईयां, दूध-दही और फलों का प्रयोग इस व्रत में किया जाता है और दान भी इन्हीं वस्तुओं का किया जाता है। एकादशी का व्रत करने के बाद दूसरे दिन द्वादशी को भोजन योग्य आटा, दाल, नमक,घी आदि और कुछ धन रखकर सीधे के रूप में दान करने का विधान है।
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