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सूर्य संक्रांति पर्व:14 की रात मकर राशि में प्रवेश करेगा सूर्य, 15 जनवरी को सुकर्मा और पद्म नाम के शुभ योग में मनेगी संक्रांति

5 महीने पहले
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मकर संक्रांति का त्योहार इस बार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। हालांकि 14 की रात 8.46 पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। लेकिन ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक अगले दिन यानी रविवार को मकर संक्रांति पर्व मनाना शुभ रहेगा। इस दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ के लिए पुण्य काल सुबह 7 बजे शुरू होगा जो कि शाम 6 बजे तक रहेगा।

त्योहारों की तिथि तय करने वाले ग्रंथ धर्मसिंधु और निर्णय सिंधु में भी इस बात का जिक्र है कि अस्त होने के बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो अगले दिन पर्व मनाते हुए स्नान-दान और सूर्य पूजा करनी चाहिए। इस साल ऐसी ही स्थिति बन रही है।

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि इस बार सूर्य देव 14 जनवरी की शाम तक धनु राशि में रहेंगे, तब तक खरमास रहेगा। इसी दिन ये खत्म हो जाएगा। इसलिए 15 जनवरी से मांगलिक कामों की शुरुआत हो जाएगी। इसी तारीख को चित्रा नक्षत्र और अष्टमी तिथि होने से व्हीकल खरीदारी के लिए शाम करीब साढ़े 7 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा।

15 जनवरी को मकर संक्रांति के पुण्य काल के दौरान सुकर्मा और पद्म नाम के शुभ योग रहेंगे। वहीं, सूर्य का दिन यानी रविवार भी होगा। इस शुभ संयोग में किए गए स्नान-दान से मिलने वाला पुण्य और बढ़ जाएगा।

सूर्य पूजा और किसानों का पर्व इस त्योहार पर सूर्यदेव की पूजा करने का विशेष महत्व है। धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक पौष महीने में जब सूर्य मकर राशि में आता है, तब ये त्योहार मनाया जाता है। मकर संक्रांति किसानों का मुख्य पर्व माना गया है। इस दिन भगवान सूर्य को नई फसलों और नए अनाज से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। मौसमी बदलाव के चलते इस दिन से ही खेती से जुड़े कामों और किसानों के रूटीन में बदलाव होने लगता है।

स्नान-दान से मिलता है पुण्य मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में तीर्थ स्नान के बाद सूर्य पूजा फिर जरुरतमंद लोगों को खाने की चीजें और गर्म कपड़ों का दान किया जाता है। ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन तिल का दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। इसलिए मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद बांटा जाता है। इस दिन कई जगहों पर खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। पितरों की पूजा के लिए भी ये दिन पुण्य फलदायी माना गया है।