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25 मार्च को चतुर्थी और शनिवार का योग:गणेश पूजा के साथ करें दिन की शुरुआत, तेल से करें शनि देव का अभिषेक और चढ़ाएं नीले फूल

3 महीने पहले
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शनिवार, 25 मार्च को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। शनिवार को चतुर्थी होने से इस दिन गणेश जी के साथ ही शनि देव की पूजा करने का शुभ योग बन रहा है। चतुर्थी पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है, ऐसी मान्यता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चतुर्थी गणेश जी के प्रकट होने की तिथि है, इस कारण चतुर्थी पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास और विशेष पूजन किया जाता है। एक माह में दो और एक वर्ष में 24 चतुर्थियां होती हैं। जब किसी वर्ष में अधिक मास होता है, तब 2 एकादशियां बढ़ जाती हैं। गणेश जी बुद्धि, सुख-समृद्धि और घर-परिवार के देवता हैं। चतुर्थी का व्रत करने से गणेश जी की कृपा से घर-परिवार में सुखद वातावरण बना रहता है।

शनिवार के स्वामी हैं शनि देव

ज्योतिष में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु नौ ग्रह बताए गए हैं। इन नौ ग्रहों में राहु-केतु छाया ग्रह हैं, बाकी सात ग्रह सात वारों के स्वामी हैं। शनिवार का कारक शनि है। जिन लोगों की कुंडली में शनि ग्रह से संबंधित दोष हैं, उन्हें हर शनिवार शनि देव का तेल से अभिषेक करना चाहिए।

शनि देव खासतौर पर सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। तेल चढ़ाने के बाद नीले फूलों से श्रृंगार करें। नीले वस्त्र चढ़ाएं। सरसों के तेल का दीप जलाएं और आरती करें। शनि पूजा में ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। पूजन के बाद जरूरतमंद लोगों को तेल, काले तिल, जूते-चप्पल और छाते का दान करना चाहिए।

गणेश जी को चढ़ाएं दूर्वा की 21 गांठ

चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद गणेश पूजा के साथ दिन की शुरुआत करें। गणेश जी के सामने पूजा और व्रत करने का संकल्प लें। व्रत कर रहे हैं तो दिनभर अनाज न खाएं। फल और दूध का सेवन कर सकते हैं। शाम को चंद्र उदय के बाद गणेश जी की और चंद्र की पूजा करें। इसके बाद अन्न ग्रहण सकते हैं।

गणेश पूजा में भगवान का जल से और फिर पंचामृत से अभिषेक करें। पंचामृत दूध, दही, घी, मिश्री और शहद मिलाकर बनाया जाता है। पंचामृत के बाद फिर से जल से अभिषेक करें। भगवान के नए वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। हार, जनेऊ पहनाएं। चंदन से तिलक लगाएं और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें।

गणेश जी को दूर्वा की 21 गांठ बनाकर चढ़ानी चाहिए। भगवान गणपति के साथ ही रिद्धि-सिद्धि देवी की भी पूजा करनी चाहिए। धूप-दीप जलाएं, आरती करें। पूजा में गणेश जी के मंत्र श्री गणेशाय नम: का जप करना चाहिए।

पूजा के बाद भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। अंत में घर-परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटें और खुद भी लें।