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कोल्हान विवि और अंगीभूत कॉलेजों में नामांकन के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर ‘हो’ को करें शामिल
आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पांच सूत्री मांगों में कहा कि कोल्हान विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन नामांकन पोर्टल पर हो भाषा की उपेक्षा एवं विसंगतियां- कोल्हान प्रमण्डल पूर्णतः जनजातीय आबादी वाला क्षेत्र है। जनजातीय हो भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हाल ही में सरकार की ओर से क्षेत्रीय भाषाओं पर शिक्षकों की नियुक्ति भी की जा रही थी।
एक तरफ सरकार जनजातीय भाषा अथवा मातृभाषा, धर्म-संस्कृति को संरक्षण देने की अभियान चला रही है।और क्षेत्रीय भाषाओं पर प्राथमिक स्तर से पढ़ाई प्रारंभ कराने की परियोजनाएं चला रही है। कई जगहों पर हो जनजातीय का संग्रहालय भी स्थापना किया गया है। गौरतलब बात यह है कि पिछली सत्रों से ही जनजातीय भाषाओं पर कोल्हान विश्वविद्यालय की ओर से विवि एवं अंगीभूत कॉलेजों में जनजातीय भाषाओं पर पद सृजन हेतु कोल्हान विश्वविद्यालय द्वारा राज्य सरकार को पत्राचार किया जा चुका है। बावजूद इस दिशा में कार्रवाई न होना यहां की जनजातीय हो भाषा-भाषियों एवं घनी आबादियों की घोर उपेक्षा है।
वहीं दूसरी ओर लोग बोले-दुःख यह है विवि एवं सभी अंगीभूत कॉलेजों में ऑनलाइन नामांकन पोर्टल पर हो विषय को स्थान न देने से भाषा-संस्कृति समाप्त हो जायेगी। सरकार से आग्रह है कि कोल्हान विवि एवं अंगीभूत सभी कॉलेजों में ऑनलाइन नामांकन पोर्टल पर जनजातीय हो भाषा को स्थान न देने से भाषा-संस्कृति समाप्त हो जायेगी।
सरकार से आग्रह है कि कोल्हान विवि एवं अंगीभूत सभी कॉलेजों में ऑनलाइन नामांकन पोर्टल पर जनजातीय हो भाषा को स्थान दिया जाये और अविलंब पद का सृजन की जाये। इधर, विरोध जताते हुए लोगों ने कहा, अगर समाधान के प्रति कार्रवाई नहीं की गई तो इससे भी तेज आंदोलन करने की भी चेतावनी दी। आक्रोश यात्रा कार्यक्रम में जिला, अनुमंडल व प्रखण्ड समिति के पदाधिकारियों समेत विवि छात्र प्रतिनिधि दुम्बी गागराई, हो कलाकार प्रकाश पुरती, विवि एवं टाटा कॉलेज के छात्र-छात्राओं सहित कार्यक्रम को समर्थन देने पहुंचे केन्द्रीय अध्यक्ष भूषण पाट पिंगुवा, महासचिव इपिल सामड, केन्द्रीय सचिव नीतिमा जोंको, शिक्षा सचिव बिरसिंह बिरूली, केन्द्रीय सदस्य श्रीराम सामड़ आदि विभिन्न सामाजिक संगठन से भी पदाधिकारी मौजूद थे जिन्होंने मांगों को लेकर विरोध जताया। साथ ही तेज आंदोलन की चेतावनी दी।
हाथों में बैनर, पोस्टर और तख्तियां लेकर शहर में जताया विरोध
शहर में आक्रोश रैली निकालते आदिवासी हो समाज युवा महासभा के लोग।
जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने में हो रही लापरवाही पर कार्रवाई की मांग
पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत जगन्नाथपुर अनुमंडल क्षेत्र के प्रखंडों में विशेषकर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत करने में काफी विलंब हो रही है। यहां प्रमाण पत्र निर्गत करने में प्रक्रियाओं को अनुसरण करने तथा अभिलेख आवेदनों पर कार्यवाही के स्थान पर सरकार के अधिकारी कर्मचारी एक दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं। क्षेत्र के आम लोगों का आवेदन इस कारण पांच-छः महीनों से लंबित पड़ा हुआ है। जबकि आमजन अपने आवेदन-प्रपत्रों की सभी प्रक्रियाओं को अनुपालन करके कार्यालय तक आवेदन समर्पण करते हैं। सिर्फ कर्मचारी-अधिकारियों की आपसी पेंच व समन्वय स्थापित होने की कारणों से आम नागरिक काफी परेशान है। इस पर समाधान की दिशा में त्वरित कार्रवाई किया जाये।
हाटगम्हरिया-चाईबासा मुख्य सड़क लग रही रोजाना जाम पर लगाए अंकुश
यह इस क्षेत्र के लोगों के लिए गंभीर मुद्दा है। लोगों ने खदानों, सड़कों, रेलों एवं अन्य योजनाओं के लिए जमीनें दान की है। यह आशा थी कि सुविधाओं से लैस होंगे, परंतु यहां लोगों को अगणनीय परेशानियां एवं प्रतिदिन जान गंवाना पड़ रहा है। प्रशासन की ओर से सड़क जाम एवं दुर्घटनाओं की नियंत्रण के नाम पर कई पहल किये गये। परंतु अब तक असफल रहा। दूसरे तरफ चिकित्सालयों व इलाज केंद्रों का घोर अभाव सहित संसाधनों एवं चिकित्साकर्मियों की भी भारी कमी है। अतः सरकार से आग्रह है कि इस सड़क से भारी वाहनों का परिचालन बंद कर सड़क जाम से मुक्ति दिलायी जाय या तो वैकल्पिक व्यवस्था कर सिर्फ रेलवे ढुलाई व हवाई ढुलाई के माध्यम से यहां से राजस्व लिया जाये या संभवतः खदान ही बंद कर दी जाये।
अिधग्रहित जमीन की ऑनलाइन इंट्री कर रैयतदारों को िदया जाए मुआवजा
जिला के अंचलों में ऑनलाइन के माध्यम से भूमि दखल हेतु प्रक्रियाओं के तहत आवेदन इसे अपलोड नहीं किया जा रहा है। जबकि सरकार की ओर से तरह-तरह की नई योजनाओं का घोषणाएं जारी है। इससे रैयतों को सरकार की कार्यशैली से विश्वास उठ रही है। इस मामले पर सदर अंचल चाईबासा में कई आवेदन लंबित पड़े रहने की शिकायतें मिल रही है। प्राप्त आवेदनों के पक्ष में उचित समय पर कार्रवाई न होने से जनता में काफी नाराजगी है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में अधिग्रहित जमीन की इंट्री में भारी गड़बड़ी की गई है जिस कारण रैयतदारों को मुआवजा लेने में काफी परेशानी होगी। इस कारण से सरकार से आग्रह है कि उपरोक्त विषय वस्तु पर जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठायी जाए व इसका हल निकाला जाए।
पश्चिमी सिंहभूम जिला अत्यंत सुदूर एवं पिछड़ा क्षेत्र है। यहां की पूरी आबादी (जनजातीय) का जीवन-यापन कृषि पर निर्भर है। सत्र 2019-20 में जुलाई माह के अंतिम सप्ताह तक भी पर्याप्त वर्षा नहीं है। अधिकांश कृषकों का जोताई-बुवाई कार्य भी कम वर्षा के कारण संभव नहीं हो पाया है। जितना बुवाई हो चुकी है उस फसलों का कड़हान कार्य नहीं हो पायेगा। इस वर्ष में पूर्णता फसल नष्ट हो जायेगी। जीवन-यापन के लिए पलायन को बढ़ावा मिल सकता है। उनका नियंत्रण अत्यंत जरूरी है। सरकार से आग्रह है कि जिला को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जाये।
पश्चिमी सिंहभूम को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग
मांगों में यह भी शामिल