बगहा के पिपरासी प्रखंड स्थित बलुआ ठोरी पंचायत के लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी नाव के सहारे कट रही है। पंचायत चारों तरफ से नदी से घिरा हुआ है। इस पंचायतों से निकलने के लिए दो रास्ते हैं एक तो बगहा अनुमण्डल में जाया जा सकता है। जबकि दूसरा रास्ता मधुबनी प्रखंड में पहुंचता है। लेकिन दोनों रास्ते के बीच में गंडक नदी के है। गंडक नदी की दो धारा गांव के उत्तर और दक्षिण दिशा से गुजरती है। ऐसे में यह पंचायत गंडक के दो धारा के बीच में आ गया हैं। कहीं से भी निकलने के लिए गंडक नदी को पार करना पड़ता है।
7 वार्ड में 45 सौ लोग
इस पंचायत में सात वार्ड है, जहां तकरीबन 45 लोग निवास करते हैं। यहां रोजमर्रा की जिंदगी में प्रयोग होने वाले सामानों को लाने के लिए अनुमंडल बगहा या फिर मधुबनी जाना होता है। बच्चों की पढ़ाई कि सामान से लेकर खाने-पीने या फिर कपड़ा आदि के लिए गांव से बाहर निकलना पड़ता है। हालांकि गांव से बाहर निकलने के लिए यहां के लोगों को नाव की सवारी करनी पड़ती है।
सुबह का करना पड़ता है इंतजार
स्थानीय लोगों ने बताया कि अगर रात में कोई बीमार पड़ जाता है तो उस समय नाव की व्यवस्था नहीं रहती है। ऐसे में सुबह होने का इंतजार किया जाता है। हालांकि दिन में भी कठिन रास्ते को तय कर यहां से मरीजों को पीएससी या फिर अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया जाता है। ऐसे में कई दफा कई लोगों की मौत इलाज के पहले ही हो चुकी है।
पहले बनता था पीपा पुल
लोगों ने बताया कि पहले बरसात बीत जाने के तुरंत बाद यहां पर पीपा पुल बनवाया जाता था। यह पीपा पुल बगहा चीनी मिल के द्वारा बनाया जाता था। जिससे 8 माह तक लोगों को नाव की परेशानी से दूर रहना पड़ता था। लेकिन धीरे-धीरे चीनी मिल के द्वारा पीपा पुल बनवाने का काम खत्म हो गया। अब स्थानीय लोगों के द्वारा मोटरवोट बनाकर गन्ना चीनी मिल तक पहुंचाया जाता है। ऐसे में मोटर बोर्ड से गन्ना पहुंचाने में खर्च ज्यादा लगता है।
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