अनुमंडलीय अस्पताल बगहा में मरीज व उनके परिजन तक पानी पहुंचाने के लिए छत पर दो टंकी बनी है। इन्हीं टंकी का पानी नल के माध्यम से वार्ड में मरीज तक पहुंचता है। लेकिन लंबे समय से किसी भी टंकी में ढक्कन नहीं है। बारिश का पानी तो भरता ही है, साथ में कई तरह की पक्षी भी खुली टंकी में मुंह मार लेते हैं। वही कुछ दिनों से एक टंकी में कौवा गिर कर मरा हुआ है। जिस कारण पानी दूषित हो चुका है और इसी पानी का सेवन मरीजों के द्वारा किया जा रहा है।
साफ के बदले दूषित पानी पी रहे मरीज
डायरिया हो या फिर कोई दूसरी बीमारी, डॉक्टर सबसे पहले पानी को उबाल कर पीने की सलाह देते हैं। यानी मरीजों के लिए स्वच्छ जल ही सबसे जरूरी है लेकिन अगर अस्पताल में ही मरीजों को दूषित पानी पीने के लिए दिया जाए तो इससे बड़ी लापरवाही और क्या हो सकती है। अस्पताल प्रबंधन की इसी लापरवाही के चलते मरीज ठीक होने की बजाय और बीमार हो सकते हैं।
जानकारी के अभाव में पी लेते हैं पानी
मरीज के परिजनों ने बताया कि अस्पताल का पानी अच्छा नहीं लगता है। मरीज के लिए बंद बोतल का पानी खरीद कर ला देते हैं। लेकिन अपने पीने के लिए पानी की टंकी का पानी का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में जानकारी के अभाव में मरीज व उनके परिजन इसी दूषित पानी का इस्तेमाल कर बीमारी को और बढ़ावा दे रहे हैं। बहुत से मरीज को इसकी जानकारी तक नहीं है। जो लोग जानते हैं वे ही इसके पानी का उपयोग करते हैं।
अनुमंडलीय अस्पताल बगहा के उपाधीक्षक डॉक्टर ए के तिवारी ने बताया कि इसकी जानकारी मुझे नहीं थी। जानकारी मिली है सफाई कराई जाएगी। 22 साल से इस अस्पताल में पदस्थापित हूं। मुझे नहीं पता आप पानी के टंकी में ढक्कन है कि नहीं।
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