बगहा में दुनिया का सबसे बड़ा कीट एटलस मॉथ मिला है। एटलस मॉथ के पंख 24 सेमी तक फैलाव वाले रहते हैं जबकि इंडियन लूना मॉथ के पंख का फैलाव 12 से 17 सेमी तक रहता है। ये तितली की तरह दिखता है। इसके पंखों पर सांप की आकृति रहती है। ये हरनाटांड़ के काला बैरिया गांव में एक बल्ब के पास बैठा था। जैसे ही गांव वालों ने इसे देखा तो वनदेवी समझकर इसकी पूजा शुरू हो गई।
काला बैरिया में एक अजीब तितली देखने को मिली है। शनिवार की रात में यह तितली गांव के एक बल्ब के पास आकर बैठ गई। पहले तो लोग इसे सांप समझ रहे थे। लेकिन जब पास से देखने लगे तो इसका रंग रूप और आकार बिल्कुल अलग दिखा। इसके बाद ग्रामीणों में दहशत मच गई। कोई इसे वन देवी का अवतार मानने लगा तो कोई शैतान का स्वरूप। कुछ लोगों ने घी के दिए जला दिए तो कुछ लोग अगरबत्ती जला कर पूजा करने लगे।
मीटिंग के इंतजार में बैठी मादा
WWF के एरिया कोऑर्डिनेटर कमलेश मौर्या ने बताया कि दुर्लभ प्रजाति की यह कीट नर से बड़ी मादा होती है। मादा का शरीर 9.5 सेंटीमीटर होता है जबकि नर का इसके अपेक्षा काफी छोटा, अभी जो कीट है वह मादा है। एक मादा नर के साथ आने और निषेचित होने, अंडे देने और मरने की प्रतीक्षा करती है।
दुर्लभ प्रजातियों में से एक
WWF के एरिया कोऑर्डिनेटर कमलेश मौर्या ने बताया कि इसके बारे में ना जानने वाले इसे देख कर नजर अंदाज कर सकते हैं। लेकिन यह खुशनसीब लोगों को दिखाई देता है। इससे पहले यह झारखंड के पलामू में मिला था। उन्होंने बताया कि इसे एटलस मॉथ कहते हैं।
यह दुनिया में पाए जाने वाले पतंगों में सबसे बड़ा है। तितली की तरह दिखने वाला यह कीट असल में बहुत दुर्लभ है और दिन के समय यह शायद ही कभी दिखाई देता है। यह रात में निकलने वाला कीट है।
टिकाऊ रेशम निकालते हैं एटलस मॉथ
WWF (विश्व वन्यजीव कोष) के एक रिसर्च के अनुसार एटलस मॉथ कैटरपिलर रेशम के टूटे हुए स्ट्रैंड से अपना कोकून बुनता है। एटलस मोथ का यह भूरा, ऊन जैसा रेशम बहुत टिकाऊ माना जाता है और इसे उत्तर भारत में फगरा रेशम के रूप में जाना जाता है। महाराष्ट्र में राज्य के पूर्वी हिस्से के भंडारा, गढ़चिरौली, चंद्रपुर और गोंदिया जिलों में व्यावसायिक स्तर पर एटलस माइलिट्टा (रेशम पैदा करने वाले पतंगों में से एक) इससे जंगली रेशम का उत्पादन किया जाता है।
ऐसे चलता है जीवन चक्र
एटलस मॉथ जून से अगस्त के अंत तक दिखाई देते हैं। इसके अंडे 10 से 14 दिन के बीच फूटते हैं। 35 से 40 दिन तक कैटरपिलर की स्थिति में रहता है। उन्होंने बताया कि प्यूपा से बड़ा पतंगा बनने में 21 दिन लगते हैं और पूरे आकार में आने पर इसका जीवन चक्र दस दिन से अधिक नहीं होता। अंधेरे में उड़ने वाला एटलस मॉथ रात में किसी बल्ब को देखकर रुक जाता है और कई दिनों तक वहीं बैठा रहता है।
उनके दोनों बगल सांप की आकृति
यह सबसे बड़े कीटो में से एक है। जब इसको खतरा महसूस होता है तो शिकारियों को डराने के लिए यह सांप के सिर की तरह दिखने वाले पंख फड़फड़ाता है। इस प्रकार इस के पंख को देखकर शिकारी भाग जाते हैं।
अलग-अलग देशों के अलग नाम
यह प्रजाति भारत के अलावा स्पेन, अफ्रीका, जापान, अमेरिका, मलेशिया, चीन आदि देशों में भी पाई जाती है। इसे उस देश के नाम से जाना जाता है। जैसे अफ्रीकन मून मॉथ, स्पेनिश मून मॉथ आदि। एटलस मॉथ के पंख 24 सेमी तक फैलाव वाले रहते हैं जबकि इंडियन लूना मॉथ के पंख का फैलाव 12 से 17 सेमी तक रहता है।
नाम का मतलब...
लूना मॉथ मूलत: लैटिन भाषा का शब्द है। इसमें लूना का अर्थ है- चांद। इस मॉथ या कीट के पंखों पर चंद्रमा जैसी गोल संरचनाएं बनी रहती हैं। इसलिए इसे यह नाम दिया गया है। भारत इसके पाए जाने का उल्लेख सबसे पहले 1807 में में मिलता है।
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