बगहा में 18 दिन बाद भी बाघ वन विभाग की पकड़ से दूर है। 9 महीने में बाघ ने 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। बाघ बार-बार अपनी लोकेशन बदल रहा है। इसे देखते हुए 150 की जगह 300 कर्मचारियों को जंगल में उतारा गया है। 2 हाथियों पर एक्सपर्ट ट्रेंकुलाइज शूटर भी तैनात हैं। बाघ रघीया वन क्षेत्र से लौट हसनापुर वन क्षेत्र में आ गया है। बाघ के आने के सूचना के साथ में बैरिया काला, हसनापुर के आसपास के लोगों में दहशत है। गांव में सन्नाटा फैला हुआ है।
वीटीआर प्रमंडल-1 के चिउंटहा वन प्रक्षेत्र के हरिहरपुर गांव के पास के जंगल में बाघ के ताजा पगमार्क मिलने से वनकर्मियों के पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है।
बाघ को पकड़ने पहुंची टीम को देखकर आसपास के लोगों में भी डर है। बाघ को पकड़ने में विशेषज्ञ टीम दो हाथियों पर बैठकर जंगल के अंदर उतर चुकी है। इस वजह से जंगल के करीब दो किमी दूर स्थित वृंदावन गांव के पास बैरिकेडिंग कर आवागमन ठप कर दिया गया है। किसी को भी जंगल के पास जाने के लिए मनाही की गई है। वीटीआर के वन पदाधिकारियों में मदनपुर रेंज ऑफिसर रवि कुमार, हरणाटांड़ रेंज ऑफिसर आर के श्रीवास्तव, वाल्मीकिनगर के वन पदाधिकारी रोबिन आनंद टीम का नेतृत्व कर रहे है।
राष्ट्रीय स्तर के एक्सपोर्ट ट्रेंकुलाइज शूटर भी पहुंचे
टाइगर को जल्द से जल्द रेस्क्यू कर लिया जाए, इसके लिए टीम में ट्रेंकुलाइज एक्सपर्ट शफाअत अली को शामिल किया गया है। शफाअत अली कठिन परिस्थिति में अब तक वन्यजीवों को ट्रेंकुलाइज करते आए हैं। वो छोटे जानवर से लेकर बड़े खतरनाक जानवरों तक को ट्रेंकुलाइज कर चुके हैं। इनके साथ ही पटना चिड़ियाघर के बाघ एक्सपर्ट भी शामिल है।
बाघ को रिझाने के लिए दिया जा रहा है लालच
बाघ को सामने लाने के लिए जंगल के किनारे एक छोटा भैंसा, बकरी आदि को रखा गया है। ताकि बाघ पहुंचे और किसी तरह से खाने के लालच में रेस्क्यू किया जा सके। हालांकि शाम 6 बजे तक बाघ बाहर के तरफ नहीं आया है।
बगहा के 'ऑपरेशन बाघ' में लगे वनकर्मियों पर रिपोर्ट: पेड़ पर कट रही रातें, कई पड़ गए बीमार; आग जलाकर जानवरों से कर रहे बचाव
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पिछले 19 दिनों से काम करनेवाले वन कर्मियों की पूरी फौज बाघ के पीछे लगी हुई है। यह वनकर्मी ना तो रात को सो पाते हैं और ना ही दिन में ढंग से खा पाते हैं। दिन-रात जैसे-जैसे बाघ अपना ठिकाना बदल रहा है, वैसे-वैसे इनके ठिकाने बदल रहे हैं। इनकी जिंदगी 19 दिनों से जंगलों के बीच में एक चुनौती के रूप में चल रही है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट
बगहा में ऑपरेशन बाघ: 15 दिन बाद भी वन विभाग की पकड़ से दूर आदमखोर; बुधवार को फिर हाथियों की मदद से शुरू होगा रेस्क्यू ऑपरेशन
बाघ बार-बार अपना ठिकाना बदल रहा है। स्थानीय स्तर पर पिछले 7 दिनों से रेस्क्यू अभियान तेज किया गया था। हालांकि अब तक बाघ का रेस्क्यू नहीं हो सका है। अब पटना से एक्सपर्ट्स की टीम वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पहुंची है। आज एक बार फिर बाघ को पकड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करिए
भागो...भागो बाघ को होश आ रहा है....:बगहा में सामने था आदमखोर, ट्रेंकुलाइज किया, 40 मिनट तक ढूंढा; 5 मिनट बाद होश आने वाला था
बगहा के आसपास के गांवों में पिछले 9 महीने से आदमखोर बाघ की दहशत है। 9 महीने में 6 लोगों को शिकार बना चुका है। इनमें से 5 की मौत भी हो चुकी है। बुधवार को इस आदमखोर को पकड़ने के लिए वन विभाग ने पूरी फौज मैदान में उतार दी। 60 फॉरेस्ट गार्ड, 5 वैन, 4 बड़े जाल, 2 ट्रेंकुलाइज गन, 2 ट्रैक्टर, 40 सीसीटीवी और एक ड्रोन की मदद ली गई।
टीम बाघ के करीब भी पहुंच गई। फॉरेस्ट गार्ड ने उसे ट्रेंकुलाइज गन से शूट भी कर दिया। लेकिन वो वहां से भाग निकला। टीम भी उसका पीछा करने लगी। ताकि वो जैसे ही बेहोश हो उसका रेस्क्यू किया जा सके। टीम जंगल में बाघ को 40 मिनट तक ढूंढती रही, लेकिन वो नहीं मिला। 5 मिनट के बाद बाघ को होश आने वाला था। फॉरेस्ट अधिकारियों ने आवाज लगाई कि ट्रेंकुलाइज गन से सिर्फ 45 मिनट तक बेहोश रहता है। भागो वो कभी भी होश में आ जाएगा। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करिए
पत्नी के सामने जबड़े में दबाकर ले गया बाघ, मौत:बगहा में बेटी और बहू चिल्लाते रहे, गन्ने के खेत में छोड़कर भागा
बगहा में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में सोहनी कर रहे एक किसान(65) को आदमखोर बाघ ने मौत के घाट उतार दिया। किसान अपनी पत्नी, बेटी और बहू के साथ खेत में काम कर रहा था, तभी बाघ ने उसपर हमला कर दिया। किसान के परिवार के सामने ही बाघ उसे जबड़े में दबाकर घसीटते हुए गन्ने के खेत में लेकर चला गया। थोड़ी देर बाद गांव के लोग इकट्ठा हुए तो सभी गन्ने के खेत में गए। वहां किसान की लाश पड़ी थी। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करिए
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