बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की वार्षिक मैट्रिक परीक्षा के मूल्यांकन कार्य में सहयोग नहीं करने वाले 54 परीक्षकों व 17 एमपीपी से स्पष्टीकरण तलब किया गया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने मूल्यांकन केंद्रों पर योगदान नहीं करने वाले इन परीक्षकों व एमपीपी से तीन दिनों के अंदर जवाब मांगा है। संतोषप्रद जवाब नहीं होने की स्थिति में इन लोगों पर बिहार परीक्षा अधिनियम 1981 की सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जा सकती है। गौरतलब हो कि विगत एक मार्च से शहर के 4 मूल्यांकन केंद्रों पर मैट्रिक परीक्षा के उत्तर पुस्तिकाओं की जांच होनी थी।
इसके लिए बोर्ड की ओर से करीब आठ सौ से अधिक परीक्षक व प्रधान परीक्षकों के साथ करीब 300 एमपीपी की ड्यूटी लगाई गई थी। लेकिन उनमें से 54 परीक्षक व 17 एमपीपी ने मूल्यांकन केंद्रों पर योगदान ही नहीं किया। मंगलवार को मैट्रिक परीक्षा का मूल्यांकन कार्य भी समाप्त हो गया है। बोर्ड की ओर से मूल्यांकन कार्य के लिए एक से 12 मार्च तक मूल्यांकन कार्य की समय सीमा निर्धारित की गई थी।जिसे दो दिनों का विस्तार देते हुए 14 मार्च किया गया था।
मैट्रिक मूल्यांकन के लिए बनाए गए थे जिले में चार केंद्र
इस बार बोर्ड ने मैट्रिक परीक्षा के उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए जिले में कुल चार मूल्यांकन केंद्र बनाए थे। इसमें राज्य संपोषित कन्या प्लस टू विद्यालय,संत तेरेसा बालिका प्लस टू विद्यालय तथा आमना उर्दू प्लस टू विद्यालय सहित तीन मूल्यांकन केंद्र जिला मुख्यालय बेतिया में बनाए गए थे। जबकि एक मूल्यांकन केंद्र राजकीय प्लस टू विद्यालय कुमारबाग में बनाया गया था।
बोर्ड की मंशा इस बार भी मार्च के अंत तक मैट्रिक व इंटरमीडिएट परीक्षा परिणाम घोषित कर देने की है। 20 मार्च तक इंटरमीडिएट तथा उसके बाद मार्च के अंत तक मैट्रिक के परिणाम घोषित होने की संभावना है। इसको लेकर उसी तरह की तैयारी भी की गई थी। जिससे कि निर्धारित समय सीमा में परीक्षा परिणाम घोषित किया जा सकें।
प्रतिदिन भेजी गई जांची गई कॉपियों की मार्क्स फाइल
मैट्रिक मूल्यांकन के दौरान प्रत्येक दिन उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के बाद उसी दिन शाम को मार्क्स फाइल बोर्ड को भेजी जा रही थी। इसके लिए प्रत्येक मूल्यांकन केंद्र पर 7-7 कम्प्यूटर सेट लगाए गए थे। वहीं सभी केंद्रों पर 13-13 कम्प्यूटर शिक्षक/ कम्प्यूटर की प्रतिनियुक्ति की गई है।
मूल्यांकन केंद्र पर लगाए गए 6 कम्प्यूटर सेट पर दो-दो कम्प्यूटर शिक्षक प्रतिनियुक्त थे जिनका कार्य प्रतिदिन जांची गई कॉपियों के मार्क्स कम्प्यूटर पर अपलोड करना था। वहीं एक कम्प्यूटर सेट मूल्यांकन केंद्र निदेशक कक्ष में लगाया गया था। जहां प्रतिनियुक्त एक कम्प्यूटर शिक्षक केंद्र निदेशक की देखरेख में उस दिन जांची गई कॉपियों के मार्क्स फाइल उसी दिन शाम को बोर्ड को भेज रहे थे।
इन शिक्षकों से मांगे गए हैं स्पष्टीकरण
मैट्रिक परीक्षा मूल्यांकन केंद्रों पर योगदान नहीं करने वाले जिन शिक्षकों से डीईओ ने स्पष्टीकरण मांगा है उनमें अभिमन्यु कुमार, महेश कुमार, रूद्र नारायण प्रसाद, बैधनाथ प्रसाद, निरंजन प्रसाद, नरेंद्र कुमार पाण्डेय, मो. सलाहुद्दीन, मुज्तबा राशिद, रमेश प्रसाद, मो. फारुख अंसारी, विप्लवेंद्र कुमार वर्मा, मोहम्मद आलम, बिंदु राज, सीमा कुमारी, विपिन कुमार गुप्ता, द्वारिका नाथ गौतम, मो. मोहन, श्रीनिवास शर्मा, कृष्ण मोहन यादव, राजकुमार दास, विजय कुमार साह, जरीना खातून, शिप्रा मिश्रा, उपेंद्र प्रसाद, सुनील कुमार, रामकृपाल प्रसाद गुप्ता, राजेंद्र चौधरी, रमेश प्रसाद साह, सुनील कुमार मिश्र, प्रमोद कुमार राय, छोटाबाबू शर्मा, ओम प्रकाश, नीरज कुमार त्रिपाठी, डॉ बीरेंद्र कुमार, जवाहिर राम, उपेंद्र कुमार राय, सिस्टर मेरी पुष्पा विलंग, मृत्युंजय काजी, शिवशंकर यादव, शालिनी कुमारी, जया सिंह, हरिमोहन यादव, कृष्ण मोहन यादव, इंद्रजीत प्रसाद, धर्मेंद्र कुमार राव, शत्रुघ्न पटवारी, अशोक कुमार, सूर्यदेव नारायण, प्रकाश नारायण, रेणू कुमारी, सुबोध कुमार, वंशीधर राम, मुकेश कुमार मिश्र व ओम प्रकाश प्रसाद सहित 54 परीक्षक शामिल हैं। वहीं 17 एमपीपी में रेणु कुमारी, कांति कुमारी, दीपक कुमार वर्मा, रामाकांत प्रसाद, मधु सिंह, अशोक कुमार केसरी, कुमकुम कुमारी, मदन प्रसाद, रागिनी कुमारी, मुकेश कुमार, हेमलता कुमारी, जान्हवी कुमारी, गोपाल राम, शर्मिला पाठक, विजय कुमार, प्रीति लता तथा विजय कुमार शर्मा शामिल हैं। हालांकि इनमें से कुछ शिक्षकों के मृत तथा कुछ का दो केंद्रों पर नाम होने की भी सूचना मिल रही है। वैसे स्पष्टीकरण का जवाब मिलने पर ही मामला स्पष्ट हो सकता है।
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