प्राथमिक विद्यालय की शिक्षा बच्चों के जीवन का प्रथम पायदान माना जाता है। यहीं से बच्चे पठन-पाठन कर अपने बेहतर भविष्य की शुरुआत करते हैं लेकिन नरकटियागंज का एक ऐसा गांव जहां पर दो दशक से विद्यालय संचालित हुआ परन्तु विद्यालय संचालन करने के लिए अपना भवन एवं भूमि नसीब नहीं हो सका। इस गांव में लगभग 61 बच्चे शिक्षा से अभी वंचित हैं। यह सब शिक्षा विभाग के लापरवाह सिस्टम के कारण समस्या उत्पन्न हुई है। पहले इस विद्यालय में लगभग 140 बच्चे थे लेकिन वर्तमान में इस विद्यालय में मात्र 61 बच्चे ही नामांकित है। गांव से स्कूल की दूरी के कारण इस भीषण गर्मी में अभिभावक बच्चों को विद्यालय भेजना मुनासिब नही समझ रहे है।
5 साल तक पेड़ के नीचे संचालित हुआ विद्यालय
चांदपुर निवासी गुलाम कादिर, छोटे लाल सिंह, अनवर अंसारी व सत्यनारायण महतो आदि ने बताया कि उनके गांव में वर्तमान में एक भी विद्यालय संचालित नहीं हो रहा हैं। 61 बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। बताया कि चांदपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय 5 साल तक पेड़ के नीचे संचालित हुआ। उसके बाद वहां से उसी गांव के दूसरे तरफ विद्यालय सचिव के मकान में लगभग एक दशक तक विद्यालय चला। अब वहां भी रोक लग गई। चांदपुर प्राथमिक विद्यालय को बिनवलिया गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में टैग कर दिया।
3 किलोमीटर दूर विद्यालय में किया गया है टैग | ग्रामीणों ने बताया कि चांदपुर गांव से विद्यालय की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है। दूरी अधिक होने के कारण बच्चों को आने जाने में काफी परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि गांव के लोग बच्चे को विद्यालय नहीं भेजते हैं।
पहले 140 बच्चे थे, अब महज 61 बच्चों का ही है नामांकन
चांदपुर के जिस मकान में विगत वर्ष विद्यालय का संचालन होता था उस समय विद्यालय में लगभग 140 बच्चों का नामांकन था लेकिन जब से विद्यालय को बिनवलिया गांव में टैग किया गया। तब से महज 61 बच्चों का नामांकन हुआ है। 61 बच्चों के नामांकन के बावजूद एक भी बच्चे विद्यालय नहीं जाते हैं। प्रधानाध्यापक प्रदीप कुमार ने बताया कि विद्यालय में बच्चों को भेजने के लिए कई बार गांव में घूम घूम कर अभिभावकों से बात की गई लेकिन अभिभावक अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेजते हैं। उन्होंने बताया कि चांदपुर विद्यालय में 4 शिक्षक है। सभी शिक्षक प्रतिदिन बिनवलिया स्थित विद्यालय आते हैं। लेकिन बच्चों के विद्यालय नहीं आने की वजह से वे सभी शिक्षक बिनवलिया स्कूल के बच्चों को ही पढ़ा कर अपना समय व्यतीत करते हैं।
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