बेटी की मौत के बाद उसकी पढ़ाई और शादी के लिए जमा पैसे से जमीन खरीदकर सहरसा के सिहौल निवासी गोपाल झा देवघर जाने के रास्ते में जमीन खरीदकर धर्मशाला बनवा रहे हैं। ताकि लोगों को उनकी बेटी प्रियंका का नाम याद रहे। पिता-पुत्री के प्रेम और शिव भक्ति का यह अनूठा उदाहरण मुंगेर के संग्रामपुर प्रखंड के गोविंदपुर गांव से सामने आया है।
रविवार को धर्मशाला की ढलाई के बाद गोपाल झा और उनकी पत्नी सुनीता देवी के साथ अभी धर्मशाला निर्माण के आगे का काम करवा रहे हैं। गोपाल ने बताया कि छोटी बेटी प्रियंका मेरा अभिमान थी। पढ़ाई से लेकर हर क्षेत्र में वह होनहार थी। पर ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था।
पिता बोले- मेरा अभिमान थी बेटी, डॉक्टर बनना चाहती थी, पर 2011 में हमे छोड़ गई
गोपाल ने बताया छोटी बेटी प्रियंका मेरा अभियान थी। वो डॉक्टर बनना चाहती थी। लेकिन उसके दाहिने उंगली में कभी-कभी तेज दर्द होता था। जिसका इलाज दिल्ली एम्स तक कराया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पार्ट-2 में पढ़ाई के दौरान वर्ष 2011 में एक सितंबर को प्रियंका की मृत्यु हो गई। प्रियंका के मृत्यु के बाद हम दोनों विचलित हो गए। धीरे-धीरे इस दुख से उबरने के लिए मैंने भगवान की भक्ति का सहारा लेना शुरू किया। हर माह कांवर यात्रा शुरू कर दी।
एक साल तलाश के बाद 6 कट्ठा 6 धुर जमीन खरीदी
बेटी की मौत के दो साल बाद से गोपाल धर्मशाला के लिए जमीन तलाश रहे थे। 2014 में गोविंदपुर के पास उनकी तलाश पूरी हुई। सन्हौली निवासी कृत्यानंद शर्मा एवं नागेश्वर शर्मा के 6 कट्ठा 6धुर जमीन उन्होंने तत्कालीन मुंगेर डीएम अमरेंद्र प्रताप सिंह की मदद से खरीदी। बेटी की शादी व पढाई के लिए जमा पैसे जब कम पड़े तो गांव की जमीन भी बेची।
घर से कोसों दूर रह पत्नी के साथ करवा रहे निर्माण
शुरुआत में मैंने इस जगह पर बेसमेंट सहित दो कमरे का निर्माण करवाया। उसके उपरांत लोगों का भी जन सहयोग मिलने लगा जिसके परिणाम स्वरूप धर्मशाला के प्रथम तल की ढलाई रविवार को संपन्न हो गई। मेरा सपना है कि तीन मंजिल का यह धर्मशाला बने। निर्माण काम की देखरेख के लिए गोपाल पत्नी के साथ मुंगेर में जमे है।
गांव में भी बेटी के नाम पर बनवाया है मंदिर
गोपाल झा ने बताया कि मैं बेहद साधारण परिवार से हूं। लेकिन प्रियंका के भविष्य के लिए जमा की गई पूंजी से उसके गुजर जाने के बाद मैंने अपने गांव सिहौल में एक पार्वती मंदिर का निर्माण करवाया। अब धर्मशाला बनवा रहा हूं। इसका उद्देश्य सिर्फ इतना था कि लोग याद यह रखें कि मेरी एक प्रियंका नाम की बिटिया भी थी।
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