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कोसी नदी के गर्भ में बसे बेलदौर प्रखंड के दक्षिणी सीमावर्ती पंचायत का पचबिग्घी गांधीनगर गांव इन दिनों कोसी के कटाव के कारण अपने अस्तित्व की समाप्ति की आेर अग्रसर है। उक्त गांव में हर रोज भीषण कटाव होने के कारण गांव के लोग भयभीत हैं तथा कटाव को रोकने के लिए अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं। क्योंकि कटाव को राेकने के लिए फ्लड कंट्रोल विभाग-2 द्वारा रविवार को करवाए गए कटाव निरोधी कार्य का अस्तित्व नाकाफी साबित होते हुए महज कुछ घंटों में जिओ बैग नदी में विलीन हो गया। जिसके बाद उक्त गांव के वार्ड संख्या 4 और 5 के लोगों दर्जनों परिवार के घरों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि फ्लड कंट्रोल विभाग-2 के कार्यपालक अभियंता गोपालकांत झा ने पचबिग्घी गांधी नगर गांव में कटाव निरोधी कार्य को युद्ध स्तर पर शुरू करने की बात कही है। मगर स्थानीय लोग विभागीय कार्य को महज खानापूर्ति बता रहे हैं। बताते चलें कि कोसी नदी में आए बाढ़ के कारण उक्त गांव बीते तीन माह से अभी तक टापू में तब्दील है व उक्त गांव के 500 परिवार के करीब दो हजार आबादी का प्रखंड मुख्यालय से संपर्क भंग है। ऐसे में वहां के लोगों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
दो हजार लोगों तक अब तक नहीं पहुंच पाया मदद
जुलाई में जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन विभाग के तरफ से बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र एवं प्रभावित परिवारों की सूची बनाकर उनतक सरकार मदद पहुंचाने का दावा किया था। मगर 2 हजार लोगों के बीच बीच अब तक कोई सरकारी मदद नहीं पहुंच पाई है। लोग कोसी की धारा में नाव से एक घंटे का सफर करते है।
पीड़ितों को दी जाएगी प्रशासनिक मदद | कटाव पीड़ित लोगों को आवेदन देने के लिए कहा गया है। अंचल प्रशासन के तरफ से भी पीड़ितों की सूची तैयार की जा रही है। सरकारी प्रावधान के मुताबिक पीड़ित लोगों को सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। वहां के लोगों के आवागमन के लिए एक नाव दिया गया है। अमित कुमार, सीओ, बेलदौर।
इतमादी पंचायत में 2 हजार आबादी पर
मात्र 1 सरकारी नाव
इतमादी पंचायत के पचबिग्घी गांधीनगर के लोगों को बाढ़ के दौरान प्रशासनिक मदद के नाम पर मात्र सरकारी नाव की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। जबकि अब तक वहां कोई राहत सामग्री का वितरण नहीं किया जा सका है। गौरतलब है कि कटाव के कारण उक्त पंचायत के कुंजहार और पुरानी डीह इतमादी गांव का कटाव हो चुका है। जबकि बीते एक पखवाड़ा से पचबिघी गांव समीप कोसी कटाव जारी है। वहां बीते दिनों मनोज पासवान, विक्रम पासवान, वाल्मीकि पासवान, जयजय राम यादव, छटाकी ठाकुर का घर कोसी कटाव में विलीन हो चुका है।
कटाव में घर का अस्तित्व हो गया खत्म
हमलोगों का उपजाऊ जमीन पहले ही कट गया था अब घर भी नदी में समा गया है। जिससे हमलोगों के समक्ष सर छिपाने की जगह नहीं है। -मनोज पसावान, कटाव पीड़ित, गांधीनगर।
कटाव रोकने को प्रशासन सजग नहीं
कोसी के कटाव के कारण हमारा घर तीन दिन पूर्व नदी में विलीन हो गया। अब कटाव को देख ऐसा लगता है कि प्रशासन कटाव रोकने के लिए सजग नहीं है।
-जयजयराम यादव, पचबिग्घी।
गांव का अस्तित्व हो जाएगा खत्म
इसी तरह कटाव होता रहा तो गांव का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। पानी कम होने के साथ कटाव और भी तेज हो गया है। यहां के सभी घर विलीन हो जाएगा।
-वाल्मिकी पासवान, पचबिग्घी।
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