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सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत भारत नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे तीन प्रखंड के 203 गांव को मॉडल गांव बनाया जाएगा। जिला प्रशासन ने चार वर्षों का माइक्रोप्लान तैयार कर प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है। भारत-नेपाल की सीमा से जिले के तीन प्रखण्ड ठाकुरगंज, दिघलबैंक और टेढ़ागाछ का सीमा जुड़ा हुआ है। इस कार्यक्रम के तहत नेपाल की सीमा से जीरो प्वाइंट से भारतीय क्षेत्र के भीतर 10 किलोमीटर की परिधि में आने वाले गांव को शामिल किया गया है। सीमा विकास क्षेत्र योजना के तहत चयनित गांव में सामुदायिक भवन, सार्वजनिक शौचालय,स्टेडियम, विद्यालय,स्वच्छ पेयजल एवं अस्पताल का निर्माण किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2020 -21 से वित्तीय वर्ष 2023-24 तक प्राथमिकता के आधार पर कार्य किया जाना है। वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 9.20 करोड़, वित्तीय वर्ष 2021-22 में नौ करोड़, वित्तीय वर्ष 2022-23 में नौ करोड़ एवं वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी नौ करोड़ खर्च किये जाएंगे। तीनों प्रखण्ड के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, अंचल अधिकारी, स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन के कार्यपालक अभियंता सहित भारत नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी के अधिकारियों ने मिलकर सीमाई क्षेत्र को विकसित करने का खाका तैयार किया है।
प्रखंडवार अलग-अलग बैठक के बाद बनाई गई योजना
जिला योजना पदाधिकारी की अध्यक्षता में तीन प्रखंडों में अलग-अलग बैठक हुई थी। बैठक में संबंधित बीडीओ, सीओ, एसएसबी के प्रतिनिधि, संबंधित प्रखण्ड के प्रमुख, चयनित पंचायतों के मुखिया सहित अन्य जनप्रतिनिधि शामिल हुए थे। बैठक में अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के सुझाव पर मंथन करने के बाद अंतिम प्रस्ताव तैयार किये गए, जिसे दिसंबर माह में सरकार को भेज दिया गया।
सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण
सीमा क्षेत्र विकास योजना के तहत नेपाल से लगने वाली सीमा पर भारतीय क्षेत्र में गलगलिया से रक्सौल तक सड़क का निर्माण किया जा रहा है। जिले से लगने वाली सीमा पर सड़क निर्माण अंतिम चरण में है। महज 22 किलोमीटर सड़क निर्माण होना बांकी है।
स्वीकृति मिलने पर जनोपयोगी योजना को मिलेगी प्राथमिकता
जिला योजना पदाधिकारी आशीष कुमार पांडेय ने कहा कि चार वर्षीय योजना का माइक्रोप्लान बनाकर डीएम के द्वारा सरकार को भेज दिया गया है। सरकार की स्वीकृति मिलते ही प्राथमिकता के आधार पर जनोपयोगी कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।
ये हैं वे गांव, जहां होगा आधारभूत संरचना का विकास
सीमा क्षेत्र विकास योजना के तहत दिघलबैंक प्रखण्ड के अठगाछी, पल्सा, बनवरिया, भुरली भीठ, बुआलदह, दहीभात, धनतोला, दिघलबैंक, डोरिया, गरबनडांगा, हाडीभिट्ठा, हरुआडंगा, हुबलिदानगी, ईकरा, कालपीर पथरघति, करुआमणि, कुमहिया, कुढ़ईली, लक्मीपुर, लोहगाडा, माल्टोली, पदमपुर,मुस्तफ़ागंज, मन्गुरा, सतकौवा, सुरीभिट्ठा, ताराबाड़ी, तुलसिया, सिंघीमारी सहित 72 गांव को शामिल किया गया है। टेढ़ागाछ प्रखण्ड के आशा, बभनगामा, बैगना, बैरिया, बलुआ जागीर, बेनुगढ़, भेलागुरी, भोरहा, चरघरिया, चिचोरा, डाकपोखर, धबेली, डोरिया, फुलबारी, गम्हरिया, घनिफुलसारा, हाटगांव, हावकोल खुर्द, झाला, कंचनबारी, खजुरबाड़ी, खनियाबाद, कुंवारी, मटियारी, ननकर कमेटी, राबाड़ी, रामपुर सुहिया गोपालपुर, शर्मा टोली सहित 55 गांव को योजना में शामिल किया गया है। ठाकुरगंज प्रखण्ड के अमलझाडी, बन्दरझुला, बेसरबाटी, भातगांव, भेलागुरी, बिधिभिट्ठा, छैतल, चपाती, चुरली, डाकपारा, दल्लेगांव, दोगच्छी, डुधौटी, डुमरिया, गंभीरगढ़, गोधरा, ग्वाल टोली, हसनपुर, हुलहुली, जीरनगच्छ, जियापोखर, कच्चूदह, कनकपुर, करुआमणि, कठारो, खारुदह, कोइया, कुकुरबाघि, कुंजिमारी, मालिंगनव, पटेशरी, पथरिया, पेटभरी, पठामारी, पौवाखाली, रसिया, सखुआदाली, सालगुरी, सरायकुरी, सिंघीमारी,सुखानी, तातपौवा सहित 76 गांव को योजना में शामिल किया जाएगा।
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