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किसान अपनी लहलहाती फसलों को देख झूम उठते हैं पर किशनगंज के भारत-नेपाल सीमा पर बसे दिघलबैंक के सीमावर्ती इलाके के किसान अपनी फसल को देख आतंकित हैं। सीमा पार से आने वाले हाथियों के झुंड के आतंक से ग्रामीण अब बारी-बारी से रतजगा करने को विवश हैं। कारण हाथियों का आतंक है जो हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी विगत 6 फरवरी से लगातार जारी है। रोज रात हाथियों का झुंड खेतों पर आता है। फसलों को चरता है, कुचलता है और सामने पड़े फूस के घरों को तोड़ डालता है। घरों में रखे अनाज को नष्ट कर देता है। रविवार की रात भी धनतोला दुर्गा मंदिर टोला निवासी अदमा राम और राजकुमार राम के घरों को हाथियों ने तोड़ दिया। पिपला गांव के जहादु लाल गणेश के घर को तोड़ा। आधी रात होते ही झुंड चुपके से खेतों और आवासीय क्षेत्रों में आ पहंुचता है। जिस घर के सामने हाथी आता है गृहस्वामी अपने परिजनों सहित जान बचाने के लिए वहां से भाग खड़े होते हैं। सुबह सूर्योदय से पहले हाथियों का झुंड वापस नेपाल के जंगलों में लौट जाता है। यह कहानी रोज की है। अब तक वन विभाग इससे बचाव के लिए अखबारों में सूचना जारी करने के अलावा और कुछ नहीं कर पाया है। जबकि, जिले के 5 गांव में करीब डेढ़ दर्जन घरों को हाथी ने तहस-नहस कर दिया है। सोमवार को विभिन्न विभागों की समीक्षा के क्रम में डीएम आदित्य प्रकाश ने इस मामले में संज्ञान लिया एवं वन विभाग के अधिकारी से स्पष्टीकरण पूछने का निर्देश एडीएम को दिया है। दूसरी ओर स्थानीय लोग तत्काल यहां वन विभाग का अस्थायी कैंप कार्यालय खोले जाने की मांग कर रहे हैं जिसमें ट्रेंड वनकर्मी हो।
नेपाल में कनकई नदी के किनारे बनाया अस्थायी आशियाना
क्षेत्र के किसानों ने बताया कि हाथियों का झुंड नेपाल क्षेत्र में कनकई नदी के किनारे बने कास के जंगलों में दिनभर बैठा रहता है। रात के अंधेरे में भारतीय क्षेत्र के खेतों में पहुंचता है। 5-7 घंटे तक मक्के की फसल खाता है। घरों को तोड़ता है, घरों में रखे अनाज को तहस-नहस कर देता है एवं सूर्योदय से पूर्व वापस नेपाल क्षेत्र में जाकर नदी के किनारे अपना डेरा जमा लेता है। नेपाल के मुहाने पर स्थित दिघलबैंक और ठाकुरगंज प्रखंड में विगत एक दशक से हाथियों का आतंक है। वर्ष 2020 में ही 22 मार्च को दिघलबैंक में हाथियों के झुंड ने एक युवक को कुचलकर मार डाला था। स्थानीय लोगों के अनुसार पूरे मकई के सीजन में इन हाथियों का आगमन कभी भी हो सकता है। कुछ सालों में सीमा से करीब 20 किलोमीटर भीतर टेढ़ागाछ सीमा तक बीबीगंज और तालगाछ में भी इन हाथियों का आतंक देखा गया। जबकि सीमावर्ती धनतोला, करूवामनी, आठगाछी, दिघलबैंक पंचायतों के आधे दर्जन से अधिक गांव इसके आतंक से परेशान हैं।
हाथी के आसपास होने पर मोबाइल बंद रखें
हाथियों के व्यवहार पर कार्य कर रहे एवं वन्य मामलों के जानकार कृष्णेन्दु भट्टाचार्य के अनुसार वन्य प्राणी स्वयं वन में लौट जाते हैं। फिर भी बचाव के लिए ग्रामीणों को सतर्क रहना चाहिए।
फरवरी-मार्च में सीमावर्ती गांव में आतंक मचाता है हाथी
इस साल छह फरवरी से नेपाल से आकर हाथी आतंक मचा रहा है। 6 को करूवामनी पंचायत के वार्ड 5 बमटोली सूरीभिट्ठा गांव के एक घर को हाथी ने क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके बाद से 8 फरवरी, 10, 18, 19 और फिर 21 फरवरी को घरों को क्षतिग्रस्त किया। इससे पूर्व वर्ष 2020 में 5 मार्च को करूवामनी पंचायत के सूरीभिट्ठा बलटोली गांव में घरों को क्षतिग्रस्त किया था। इसके बाद लगातार दिनों में 14, 18, 19, 22, 23, 25 और 29 मार्च को अलग-अलग गांव में घरों को तोड़ा। जबकि 2 अप्रैल को बिहार टोला डोरिया गांव में घरों को क्षतिग्रस्त किया। इधर, बार-बार हथियों के हमले से ग्रामीण परेशान हैं।
हाथी दिखने पर उसके पास न जाएं और न औरों को जाने दें।
हाथी का रास्ता न रोकें और न ही भीड़ जमा होने दें।
हाथी के आसपास होने पर मोबाइल बंद रखें एवं फोटो न लें।
भीड़ न लगाएं, हाथी के दौड़ने पर भगदड़ हो सकती है।
रात के समय खलिहान में न सोएं और आग जलाकर रखें।
जंगल और भोजन की कमी के कारण लोगों के पास आ रहे हाथी
जंगल तेजी से कम हो रहा है। इससे हाथियों को उसके प्राकृतिक आवास सहित भोजन की कमी हो गई है। यही एकमात्र बड़ा कारण है कि हाथी आवासीय क्षेत्रों में आ जाता है। दिघलबैंक क्षेत्र में हाथी नेपाल के कंचन कंवल गांव पालिका क्षेत्र के देवूराली चारकोसे जंगल से आता है। यहां एक नदी बहती है जिसमें पानी कम होते ही हाथी नदी पार कर इस ओर भोजन की तलाश में आ जाते हैं।
- कृष्णेन्दु भट्टाचार्य, वन्य प्राणी विशेषज्ञ
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