कोचिंग संस्थानों में विद्यार्थियों की भीड़ बढ़ती जा रही है। सौ प्रतिशत विद्यार्थियों की उपस्थिति हो रही है। सरकार ने दसवीं से ऊपर के कोचिंग संस्थानों को भी खोलने की अनुमति दी है। सरकारी स्कूल व कॉलेजों में विद्यार्थियों की उपस्थिति अब तक नगण्य है। कुल मिलाकर दो प्रतिशत भी बच्चें स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। 12 जुलाई को केआरके आदर्श प्लस टू स्कूल में प्लस टू के चार साइंस के बच्चे पढ़ने आए थे।
कुछ बच्चे नौवीं कक्षा में नामांकन के लिए पहुंचे थे। शेष स्कूलों में इससे भी बुरा हाल था। शहर में प्लस टू तक की शिक्षा देने वाली पांच स्कूल हैं। इसके अलावा एक सरकारी एवं एक निजी क्षेत्र के कॉलेज हैं। तीन महीने से ज्यादा समय के बाद शिक्षण संस्थाएं खुले, फिर भी बच्चें स्कूल जाने के बजाए कोचिंग की ओर रूख नहीं कर रहे। हैं। सुबह से शाम तक काेचिंग संस्थानों में बच्चों की भीड़ बढ़ रही है। सरकारी स्कूलों में अब भी सन्नाटा खत्म नहीं हुआ है। जबकि छात्र-छात्राएं कोचिंग पहुंच रहे हैं।
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी ज्यादातर सरकारी स्कूल व कॉलेजों में विषयवार शिक्षकों की कमी है। इसके चलते साइंस के विद्यार्थी कोचिंग जाना पसंद करते हैं। मैट्रिक पास करने के बाद बच्चे सरकारी शिक्षण संस्थानों में नामांकन तो कराते हैं, लेकिन स्कूलों में नामांकित विद्यार्थियों की संख्या उपस्थिति कम होती है। 25 प्रतिशत ऐसे छात्र हैं जो बाहर चले जाते हैं।
सरकारी स्कूल के भरोसे काेर्स भी पूरा नहीं होगा
कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों ने कहा कि सरकारी स्कूल व कॉलेजों में जो शैक्षणिक व्यवस्था है, इससे पढ़ाई और कोर्स भी पूरा करना संभव नहीं है। सरकारी संस्थानों की खामियां गिनाते हुए कहा कि यही कारण है कि विद्यार्थी सरकारी स्कूलों में पढ़ने के बजाए काेचिंग की ओर रूख करते हैं।
सरकारी विद्यालय में विज्ञान के शिक्षक नहीं
11 वीं के छात्र आनंद ने कहा कि सरकारी संस्थानों में सबसे बड़ी विषयवार शिक्षकों का बड़ा अभाव रहा है। ज्यादातर संस्थानों में साइंस जैसे विषयों में शिक्षक ही नहीं हैं। शिक्षकों के अभाव में पढ़ाई नहीं होती। कोचिंग ज्वाइन करना मजबूरी हो जाती। विद्यार्थियों की राय में सरकारी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई करने का मतलब समय का जाया करना है।
शहर में लगभग सौ के करीब काेचिंग संस्थान
छोटे से शहर में लगभग सौ के आस पास कोचिंग संस्थान हैं। सुबह से लेकर देर शाम तक काेचिंग में विद्यार्थियों की भीड़ लगी होती है। एक दिन में तीन से चार शिफ्ट में कोचिंग चलती है। शहर के अलावा दूर दराज के छात्र छात्राएं बड़ी संख्या में शहर में संचालित कोचिंग में आते हैं।
75 फीसद उपस्थिति के बिना भी भरा जाता है फॉर्म
सरकारी शिक्षण संस्थानों में चुस्त दुरुस्त प्रबंधन का अभाव है। नियमानुसार 75 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराने वाले बच्चे ही किसी भी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन सरकारी संस्थानों में इस नियम को कड़ाई से लागू नहीं किया जाता है। मानक से कम उपस्थिति वाले बच्चों को भी परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मिल जाती है।
शिक्षक भी मानते संस्थानों में हैं कमियां
सरकारी शिक्षण संस्थानों के शिक्षक भी मानते है कि काफी कुछ कमियों की वजह से बच्चे सरकारी संस्थानों में पढ़ने के बजाए महंगे कोचिंग संस्थानों में पढ़ते हैं। एक शिक्षक ने कहा कि सरकारी संस्थानों में विषयवार शिक्षकों की कमी के अलावा लचर व्यवस्था है। यही शिक्षक कोचिंग भी बच्चों का पढ़ाते। वहां बच्चों की भीड़ लगती।
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