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विश्व पर्यावरण दिवस पर शुक्रवार को जयप्रकाश उद्यान में जागरूकता रैली में शामिल होने के लिए आईं तीन महिला वन रक्षक संध्या कुमारी, उजाला कुमारी एवं कुमारी छाया सेन ने पर्यावरण दिवस पर पौधों को हर हाल में संरक्षण करने का संकल्प लिया। विभाग की ओर से आयोजित जागरूकता रैली खत्म होने के बाद जब अधिकतर कर्मी अपने घर चले गए तब ये तीनों महिला वनरक्षकों ने जयप्रकाश उद्यान में वृक्ष राज पीपल की पूजा की एवं गले मिलकर चूमा भी। तीनों महिला कर्मियों ने बताया कि आज विश्व पर्यावरण दिवस है।
लोग पेड़ की रखवाली कम करते हैं और कटाई ज्यादा करते हैं। लेकिन वैसे लोगों को यह पता नहीं कि जिस पेड़ को हम काटते हैं उसी पेड़ के पत्तों से हमें शुद्ध हवा अर्थात प्राणवायु ऑक्सीजन मिलती है। हमलोगों ने पर्यावरण को स्वच्छ एवं शुद्ध बनाए रखने के लिए आज वृक्ष राज की पूजा-अर्चना कर उनसे सांसें देते रहने का वरदान मांगा।
आज भी है चिपको आंदोलन का महत्व
तीनों वनरक्षियों ने बताया कि भारत में 1970 में उत्तराखंड में चिपको आंदोलन में भी महिलाओं की अहम भूमिका थी। तब भी धरती पर जीवन के लिए अत्यावश्यक पेड़ों को कटने से बचाने के लिए महिलाओं ने जान की बाजी लगा दी थी। आज भी उसी स्तर पर हम सबको मिलकर काम करना होगा तभी हम पर्यावरण बचा सकेंगे और धरती को रहने लायक स्थान अपने लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए बनाए रख सकेंगे।
चिपको आंदोलन की तस्वीर
सन 1970 में उत्तराखण्ड राज्य (तब उत्तर प्रदेश का भाग)के चमोली में चिपको आंदोलन हुआ था। इसकी उपलब्धि ये रही कि इसने केंद्रीय राजनीति के एजेंडे में पर्यावरण को एक सघन मुद्दा बनाया। चिपको के सहभागी तथा कुमाऊ विवि के प्रो. डॉ.शेखर पाठक के अनुसार, “भारत में 1980 का वन संरक्षण अधिनियम और यहां तक कि केंद्र सरकार में पर्यावरण मंत्रालय का गठन भी इसी वजह से ही संभव हो पाया।”
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