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सृजन घाेटाला के बाद भी जिले के प्रखंड और अंचल कार्यालयाें में फंड डायवर्ट करने का खेल अब तक रुका नहीं है। इससे वित्तीय अनियमितता का खतरा अब भी मंडरा रहा है। जबकि घाेटाला उजागर हाेने के बाद जिला व राज्य स्तर से फंड डायवर्ट बंद करने का निर्देश जारी किया गया था।
इसका खुलासा तब हुआ जब डीएम सुब्रत कुमार सेन ने प्रखंड और अंचल कार्यालयाें का निरीक्षण किया। उन्हाेंने दस दिन पहले ही कहलगांव, पीरपैंती और सन्हाैला प्रखंड व अंचल कार्यालय का निरीक्षण किया था। इसमें हर जगह पर कैशबुक की जांच में यह सामने आया कि करीब छह कराेड़ रुपए का फंड डायवर्ट किया गया है। यानी बिना आवंटन एक याेजना की राशि दूसरे में खर्च कर दी गई है। डीएम ने कहलगांव के एसडीओ व डीसीएलआर काे कहा है कि डायवर्ट किए गए फंड का समायाेजन करें।
कहलगांव प्रखंड में 2 कराेड़ 22 लाख समायाेजन के लिए पेंडिंग
कहलगांव प्रखंड कार्यालय में दस बैंक खाते हैं। वहां कैशबुक की जांच से पता चला कि 2 कराेड़ 22 लाख रुपए समायाेजन के लिए पेंडिंग हैं। यह पैसे बिना आवंटन दूसरे मद से खर्च हुए हैं। एसडीओ काे निर्देश दिया गया है कि वे अपनी निगरानी में इसका समायाेजन कराएंगे।
कहलगांव बीडीओ ने बताया कि पूर्व के नाजिर के निधन के कारण वर्तमान में नाजिर द्वारा कई प्रकार के अभिश्रव यानी बिना आवंटन हुए खर्च का प्रभार नहीं लिया गया है। कहलगांव अंचल में भी दाे कराेड़ 89 लाख 49 हजार 826 रुपए एडवांस और अभिश्रव की राशि समायाेजन के लिए पेंडिंग है। नाजिर ने बताया कि तीन कराेड़ का आवंटन मिल गया है। राशि मिलने के बाद भी समायाेजन अब तक नहीं किया गया है।
पीरपैंती प्रखंड: दूसरे मद की राशि खर्च की
पीरपैंती प्रखंड कार्यालय में काेविड मामले में दूसरे मद से राशि खर्च कर दी गई। लेकिन अब तक उसका समायाेजन नहीं किया जा सका है। डीएम ने निर्देश दिया है कि सभी एडवांस व अभिश्रव का समायाेजन करें। कहलगांव एसडीओ इस काम काे कराएंगे। पीरपैंती अंचल कार्यालय में कैशबुक अपडेट नहीं है। कहलगांव के डीसीएलआर और एसडीओ कैंप लगाकर कैंप लगाकर कैशबुक काे अपडेट कराएंगे। सन्हाैला में भी काेविड-19 से संबंधित अभिश्रव पेंडिंग पाए गए हैं।
फंड डायवर्जन ही थी सृजन घोटाले की सबसे बड़ी वजह
सृजन घोटाला होने के पीछे भी फंड डायवर्जन एक बड़ा कारण था। इसमें एक योजना की राशि कई बैंक खातों में रखी जाती था। फिर फंड डायवर्ट करके सरकारी विभागों के खाते से सृजन के खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता था। दो हजार करोड़ से अधिक का घोटाला करीब साढ़े तीन साल पहले उजागर हुआ था।
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