शहर में लगे हाेर्डिंग में वैध-अवैध का फर्क खत्म हाे चुका है। इसका न तो काेई पैमाना है और न ही इस पर किसी तरह की निगरानी हो रही है। लिहाजा, शहर भर में बेतरतीब तरीके से लगे छाेटे-बड़े वैध-अवैध करीब पांच हजार हाेर्डिंग से स्मार्ट राेड की सुंदरता पर भी ग्रहण लग रहा है। फिलहाल शहर में स्मार्ट राेड के साथ पेवर्स ब्लाॅक लगाने का कार्य चल रहा है पर एजेंसी हाेर्डिंग के चलते ठीक से काम नहीं कर पा रही है।
प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के पास समेत कई स्थानाें पर लगे हाेर्डिंग ने पेवर्स ब्लाॅक लगाने का रास्ता ही बदल दिया है। राेड बनाने वाली एजेंसी के कर्मियाें का कहना है कि हमारे पास जितनी जगह दी जा रही है, वहां काम करवा रहे हैं। इससे जहां ठीक से निर्माण नहीं हाे रहा है, वहीं बाद में ये हाेर्डिंग हादसे का भी कारण बन सकते हैं।
पूर्व में भी शहर के विभिन्न इलाकों में हाेर्डिंग गिरने से कई लाेग चाेटिल हाे चुके हैं। मेडिकल काॅलेज गेट के सामने ही हाेर्डिंग से टकराकर एक लैब टेक्नीशियन की माैत हाे गई थी। इन घटनाओं के बावजूद हाेर्डिंग लगाने के सिस्टम में अबतक बदलाव के नाम पर सिर्फ बयानबाजी ही हुई है।
जमीन पर कुछ नहीं हाे सका है। ट्रेड लाइसेंस शाखा प्रभारी माे. सब्बीर का कहना है कि हमारे पास इसी महीने प्रभार मिला है, इसमें 37 फाइल मिली है। सभी काे काॅल कर हाेर्डिंग का लिस्ट जमा करने के साथ बकाया बिल देने काे कहा गया है।
नगर निगम लेता है 54 रुपए प्रति स्क्वायर फीट
54 रुपए प्रति स्क्वायर फीट के अनुसार निगम हाेर्डिंग एजेंसी से राशि वसूलता है। एजेंसी अपने अनुसार इसे 70 रुपए से लेकर 100 रुपए तक रेट तय करके ग्राहकाें से पैसे लेती है। निगम के अनुसार दर्जन भर हाेर्डिंग एजेंसी रजिस्टर में दर्ज हैं पर मुख्य रूप से छह एजेंसी ही कारगर हैं। बाकी एजेंसी का फाेकस हाेर्डिंग के काराेबार पर नहीं है।
अवैध कमाई का ये है फाॅर्मूला
जिस एजेंसी को होर्डिंग लगाने का काम दिया जाता है, उसे इलाका भी बांट कर दिया जाता है। लेकिन कर्मियों की मिलीभगत से जिसे जब जी जाहा, उन इलाकों में अपना होर्डिंग लगवा देते हैं। दिखाने के लिए इन होर्डिंग में कुछ का रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित किया जाता है, बाकी बिना नंबर के ही रहते हैं। इससे पता ही नहीं चल पाता कि किस एजेंसी ने लगाया है।
होर्डिंग एजेसियों पर 50 लाख रुपए से अधिक है बकाया
शहर के दर्जन भर हाेर्डिंग एजेंसियाें काे मिलाकर करीब 50 लाख रुपए से ज्यादा निगम का बकाया है। जिसे वसूलने के लिए नाेटिस देने की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा टैक्स कलेक्टराें काे वैध-अवैध हाेर्डिंग सर्वे कर रिपाेर्ट देने काे कहा गया है।
पहले ये जतन हुए
पूर्व में होर्डिंग एजेंसी के खिलाफ एक्शन लेने पर तत्कालीन मेयर दीपक भुवानियां के खिलाफ संचालकों ने शहर में जुलूस निकाल प्रदर्शन भी किया था। इसके बाद राजनीतिक दबाव में कार्रवाई रोक दी गई थी। संचालकाें ने मेयर का मुर्दा जुलूस तक निकाला था।पांच वर्ष पूर्व निगम के सभी हाेर्डिंगाें की गिनती के लिए टैक्स कलेक्टर काे लगाया गया था पर महीने भर के अंदर ही यह याेजना बंद हाे गई। इसके बाद इस मामले का फाॅलाेअप ही नहीं हुआ।
ये हैं प्रमुख हाेर्डिंग जाेन
तिलकामांझी चाैक से जेल राेड, तिलकामांझी चाैक से मेडिकल काॅलेज हाेते हुए निगम कार्यालय तक, तिलकामांझी चाैक से पुलिस लाइन हाेकर कचहरी चाैक तक, कचहरी चाैक से घंटाघर हाेते हुए स्टेशन चाैक व खलीफाबाग चाैक तक, खलीफाबाग से काेतवाली चाैक तक, स्टेशन चाैक से लाेहिया पुल हाेकर माेजाहिदपुर से अलीगंज के आखिरी छाेर तक, परबत्ती से चंपा नदी तक।
'हाेर्डिंग के चलते अगर स्मार्ट राेड के निर्माण में बाधा आ रही है ताे पहले उसे हटवाएंगे। रेलवे स्टेशन चाैक के पास भी हमने वैध और अवैध हाेर्डिंग देखा है। उसका सर्वे करके हटाने का निर्देश सिटी मैनेजर व शाखा प्रभारी काे दिए हैं। हाेर्डिंग काे व्यवस्था करेंगे।'
- डाॅ. याेगेश सागर, नगर आयुक्त
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