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सृजन घाेटाले में फंसे पूर्व जिला सहकारिता पदाधिकारी पंकज कुमार झा की मुश्किलें अभी कम नहीं हुई हैं। एसआईटी की ओर से हिरासत में लिए जाने के कारण उन्हें 19 अगस्त, 2017 के प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद से वह पटना के बेउर जेल में बंद थे। लेकिन जेल से बाहर निकलने पर 24 जुलाई, 2020 काे पंकज झा ने याेगदान के लिए आवेदन दिया था।
इसके बाद सरकार के निर्णय के हिसाब से उन्हें दाे फरवरी काे उनके याेगदान काे स्वीकृत करते हुए उन्हें निलंबनमुक्त कर दिया गया। लेकिन साथ ही कहा गया कि उनके खिलाफ भागलपुर के काेतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज है और सीबीआई ने भी प्राथमिकी दर्ज की है। इसलिए जनहित में उन्हें फिर निलंबन किया जाता है।
सहकारिता विभाग की उप सचिव ने जारी की है अधिसूचना
सहकारिता विभाग की उप सचिव ऋचा कमल ने इसकी अधिसूचना जारी की है। उन्हाेंने कहा है कि जांच प्रभावित न हाे, इसलिए बिहार सरकारी सेवक नियमावली के तहत उन्हें अगले आदेश तक फिर से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय पटना प्रमंडल के काे-ऑपरेटिव साेसाइटी के संयुक्त निबंधक का कार्यालय रहेगा। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। इस पर मुख्यमंत्री का भी अनुमाेदन प्राप्त है।
झा के समय में 48 करोड़ की हेराफेरी
पूर्व जिला सहकारिता पदाधिकारी पंकज कुमार झा के कार्यकाल के दाैरान ही द भागलपुर सेंट्रल काे-ऑपरेटिव बैंक की राशि की हेराफेरी की गई थी। करीब 48 कराेड़ रुपए की हेराफेरी इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ाैदा से की गई थी। इसकाे लेकर शुरुआती जांच में ही पंकज कुमार झा की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी और उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
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