अंग क्षेत्र में शुक्रवार काे बारी कलश पूजा के साथ विषहरी पूजा की शुरुआत हाे जाएगी। इसके साथ ही एक महीने तक मनसा मंदिराें में बिहुला-विषहरी के गीत गूंजने लगेंगे। बारी पूजा के एक माह बाद 16 अगस्त काे मंदिराें में प्रतिमा की स्थापना हाेगी। 17 अगस्त काे माता काे डलिया चढ़ेगा। लेकिन मूर्ति की स्थापना, डलिया चढ़ाना और अन्य सभी आयाेजन काेराेना की स्थिति और प्रशासन के गाइडलाइन के अनुसार हाेगा।
बारी पूजा से एक दिन पहले गुरुवार काे गंध-धूप देकर देवी विषहरी का आह्वान किया जाएगा। तांती बाजार स्थित बिहुला विषहरी पूजा समिति के अध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि गुरुवार काे देवी का आह्वान हाेगा। शुक्रवार काे बारी कलश पूजा हाेगी। जिसमें ढाेल-बाजे के साथ कुम्हार के घर से मिट्टी का कच्चा कलश मंदिर के प्रधान पंडित संजय झा लाएंगे।
उसके बाद पतरनाथ घाट से जल भरकर वैदिक मंत्राेच्चार के साथ मंदिर में स्थापना कर एक महीने तक कलश की पूजा-अर्चना की जाएगी। काेराेना के कारण पूजा में भक्ताें के प्रवेश पर अभी राेक रहेगी। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही पूजा हाेगी। काेराेना संक्रमण काे देखते हुए इस बार मेला नहीं लगेगा। हालांकि प्रतिमा स्थापना आदि पर 16 जुलाई काे अंतिम निर्णय पूजा समिति लेगी। पिछले साल काेराेना काल में भी शहर में कई जगहाें पर प्रतिमा स्थापित की गयी थी।
पूजा के दाैरान बाहरी लाेगाें के प्रवेश पर राेक लगी हुई थी। केन्द्रीय विषहरी पूजा समिति की ओर से भी पूजा काे लेकर जिला प्रशासन काे आम बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी से अवगत कराया गया है। 16 अगस्त को मां विषहरी की प्रतिमा वेदी पर चढ़ाई जाएगी। 17 अगस्त को संध्या 5:00 बजे से डलिया चढ़ाया जाएगा। डलिया में ईख, भुट्टा, पांच तरह के फल मां को अर्पित की जाती है।
चंपानगर पूजा समिति कल लेगी अंतिम निर्णय
चंपानगर पूजा समिति की ओर से पूजा की तैयारी को लेकर शुक्रवार काे अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अध्यक्ष ने बताया कि 1980 से देवानंद पंडित बारी कलश तैयार कर रहे हैं। लोक पर्व विषहरी पूजा में बांका, भागलपुर, मुंगेर, नवगछिया सहित अन्य के भक्त पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि बैठक के बाद मूर्तिकार प्रतिमा का निर्माण शुरू कर देंगे। ज्ञात हो कि 25 से अधिक प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है।
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