मेडिकल काॅलेज अस्पताल में बुधवार काे दाेपहर में आरटीपीसीआर जांच के नाम पर ईएनटी विभाग के डाॅक्टर ने सबाैर के सात साल के बच्चे मयंक राज के पेट से निगला हुआ सिक्का निकालने से मना कर दिया, जबकि उसी यूनिट के हेड डाॅ. धर्मेंद्र कुमार ने शाम में अपने निजी क्लीनिक में 30 हजार रुपए लेकर ऑपरेशन किया और सिक्का निकाल दिया। सबौर के मिर्जापुर के अभिषेक कुमार का सात साल के बेटे मयंक राज ने मंगलवार की शाम 10 रुपये का सिक्का निगल लिया था। बुधवार की सुबह 10 बजे परिजनाें ने उसे इमरजेंसी में ईएनटी विभाग के डाॅ. धर्मेंद्र कुमार के यूनिट में भर्ती कराया।
वहां एंटीजन जांच में बच्चा काेराेना पाॅजिटिव निकल गया ताे उसे इलाज के लिए उसे मेडिसिन वार्ड में भर्ती किया गया। लेकिन परिजन उसे ईएनटी के ऑपरेशन थियेटर के पास ले गए, ताकि उसके पेट से सिक्का निकाल दिया जाए। बच्चे के दादा योगेंद्र ने डाॅक्टर से यह भी कहा कि वह इसी अस्पताल से रिटायर हुए हैं, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी और आरटीपीसीआर रिपाेर्ट आने का इंतजार करने के नाम पर उसे लाैटा दिया। उसे कहा गया कि आरटीपीसीआर जांच के बाद काेराेना प्राॅटाेकाल के तहत ऑपरेशन हाेगा।
ईएनटी के डाॅ. धर्मेंद्र कुमार ने अपराह्न तीन बजे बताया कि भाेजन की नली में पांच दिन से ज्यादा तक सिक्का रहने से खतरा हाे सकता है। लेकिन इस बच्चे का केस ताजा है। काेराेना पाॅजिटिव हाेने की वजह से उसका पूरा प्राेटाेकाॅल फाॅलाे करना हाेगा, तभी डाॅक्टर एनेस्थिसिया का डाेज दे पाएंगे। इसलिए उसे एक दिन बाद बुलाया है। उसे लाैटाया नहीं है। लेकिन जब शाम में निजी अस्पताल में ऑपरेशन करने का खुलासा हुआ ताे उन्हाेंने कहा कि जब बच्चे काे मायागंज अस्पताल लाया गया था ताे वह ऑपरेशन थियेटर में थे। बच्चे काे भर्ती करने की जानकारी उन्हें नहीं थी।
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