राज्यसभा की सीट पर सभी पार्टी अपना गणित सेट कर रही है। इसमें राजद, जदयू और बीजेपी शामिल है। बिहार में राज्यसभा के 5 सीट खाली हुई थी। इसमें एक सीट पर जदयू के अनिल हेगड़े निर्विरोध चुनाव जीत गए हैं। बांकि चार सीटों पर माथा पच्ची जारी है। इसी बीच एक नाम पूरे बिहार में अचानक चर्चा में आ गया। वह है रुस्तम खान का। रुस्तम पूर्णिया से ताल्लुक रखते हैं। इनको राजद सुप्रीमो लालू यादव ने दिल्ली बुलाया था। इसके बाद अटकलों का बाजार गर्म है कि इनको राज्यसभा भेजा जा सकता है। रुस्तम खान राजद के पुराने सिपाही है। वह अभी राजद के जिला कमेटी में हैं।
सूत्रों की माने तो लालू की पंसद हैं रुस्तम, पर तेजस्वी के हामी का इंतजार
सूत्रों की माने तो लालू यादव ने जैसे ही रुस्तम खान को दिल्ली बुलाया, सीमांचल सहित राज्य की राजनीति में यह नाम चर्चा में आ गया है। लालू यादव रुस्तम खान को राज्यसभा भेजने का मन बना चुके हैं। इससे वह कई चीजें साध सकते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री सह राजद के वरिष्ठ नेता स्व.तस्लीमुद्दीन के मरने के बाद इस इलाके में कोई भी बड़ा मुस्लिम चेहरा राजद के पास नहीं होना। लालू यादव राज्यसभा भेजकर यहां के मुस्लिम और कार्यकर्ता को संदेश देना चाहते हैं कि राजद में कुछ भी संभव है। रुस्तम के दिल्ली जाने के बाद सीमांचल की राजनीति एकदम से गर्म हो गई है। वहीं दिल्ली गए एक नेता ने बताया कि तेजस्वी यादव शरद यादव को राज्यसभा भेजकर जदयू को मैसेज देना चाहते हैं कि राजद के लिए सबका दरवाजा खुला हुआ है। ऐसे में राज्यसभा से राज्य की राजनीति साधना चाहते हैं तेजस्वी यादव।
शरद यादव और रुस्तम खान दोनों मिल चुके हैं लालू यादव से
राज्यसभा चुनाव के लिए अपनी सीट कंफर्म करने के लिए वरिष्ठ नेता शरद यादव लालू यादव से दिल्ली में मिल चुके हैं। पर लालू यादव दूसरे दल के नेता को नहीं बल्कि अपने किसी कार्यकर्ता को राज्यसभा भेजकर बड़ा संदेश देना चाहते हैंं। चुकि जदयू ने अनिल हेगड़े को राज्यसभा भेज कार्यकर्ता को संदेश दे चुका है। ऐसे में राजद भी अपने कार्यकर्ता का मनोबल बढ़ाने कि लिए यह कर सकता है। रुस्तम खान इस समीकरण में एकदम फीट बैठते हैं। वह साधारण कार्यकर्ता हैं, वहीं वह सीमांचल से आते हैं जहां पर मुस्लिम वोटरों की संख्या काफी तादात में है।
तस्लीमुद्दीन की मौत के बाद सीमांचल में राजद को चाहिए एक चेहरा
पूर्व केंद्रीय मंत्री सह सीमांचल के कद्दावर नेता मो.तस्लीमुद्दीन की मौत के बाद यहां पर मुस्लिम का कोई बड़ा चेहरा नहीं है। राजद के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक हाजी सुभान पहले विधानसभा फिर विधान परिषद का चुनाव हार गए हैं। ऐसे में एआईएमआईएम का पैर पसारना राजद के लिए चिंता का विषय बन गया है। ऐसे में रुस्तम खान का नाम चर्चा में आना बहुत बड़ा संदेश सीमांचल के लिए है। रुस्तम खान को तस्लीमुद्दीन का करीबी माना जाता था। इन्होंने ने ही रुस्तम खान को लालू के करीब लाया था। इसके बाद रुस्तम 25 साल से राजद के भरोसेमंद सिपाही हैं।
एआईएमआईएम के पांच विधायक सीमांचल से ही
राजद का एमवाय समीकरण सीमांचल में ध्वस्त होता दिख रहा है। मुस्लिम वोटरों की अच्छी तादात के बाद भी राजद को काफी नुकसान उठाना पड़ा। वहीं एआईएमआईएम के सभी पांचों विधायक इसी सीमांचल से आते हैं। ऐसे में राजद को एक बड़ा मुस्लिम नेता चाहिए। शायद रुस्तम खान के रुप में राजद की तलाश पूरी हो।
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