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ललमटिया के रामतुल्लापुर में किराये के मकान में रह रहे रन्नूचक मकंदपुर के शिक्षक आशीष कुमार राय की पत्नी संजू देवी (38) ने शनिवार की शाम गले में फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। घटना की सूचना पर पहुंचे ललमटिया थाना प्रभारी मिथिलेश कुमार ने परिवारवालों से घटना की जानकारी ली अाैर घरवालों की मौजूदगी में कमरे का दरवाजा तोड़ कर शव को फंदे से नीचे उतारा।
महिला का शव पंखे में साड़ी के फंदे से लटका हुआ था और पैर चौकी में सटा था। थाना प्रभारी ने बताया कि शव को रविवार सुबह पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाएगा। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारण का पता चल पाएगा। परिवारवालों के मुताबिक संजू गुस्सैल स्वभाव की थी। आए दिन घरवालों से किसी न किसी बात पर उसकी नोकझोंक होती रहती थी।
इस कारण वह अपने पति और तीन बच्चों में से एक 15 साल के बेटे के साथ रामतुल्लापुर में वेदप्रकाश कुशवाहा के मकान में सात माह से किराए पर रह रही थी। घटना के तुरंत बाद पति वहां नहीं पहुंच पाए थे। संजू के देवर छोटू कुमार और ससुर सपन कुमार राय ने बताया कि पिछले आठ साल से शिक्षक व पत्नी अलग रह रहे थे।
बेटे ने कहा-दरवाजे के नीचे से देखा ताे मां का पैर लटक रहा था
संजू के बेटे आयुष ने बताया कि पापा रन्नूचक मकंदपुर के एक विद्यालय में शिक्षक हैं। सुबह स्कूल चले गए थे। घर में दिन के तीन बजे तक वह मां के पास ही था। इसी बीच शिक्षक के आने पर वह ट्यूशन पढ़ने नीचे के कमरे में गया था। एक घंटे बाद चार बजे ऊपर गया ताे कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। काफी खटखटाने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला। जब दरवाजे को धक्का देकर नीचे से देखा ताे मां का पैर लटक रहा था। शोर मचाने पर नीचे पढ़ रहे अन्य बच्चे और आसपास के लोग आ गए। इसके बाद अपने चचेरे चाचा और पिता को घटना की सूचना दी।
कोरोना में छूट गई थी नौकरी, आर्थिक तंगी के कारण दे दी जान
बांका के योगीडीह गांव निवासी वचनदेव पंजियारा (50) ने 5 फरवरी को आर्थिक तंगी के कारण जहर खा लिया था। मायागंज अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां उनकी मौत हो गई। मृतक की पत्नी सुनीता देवी ने बताया कि उनके पति गुजरात के राजकोट में एक फैक्ट्री में काम करते थे। कोरोना के कारण उनकी नौकरी छूट गई तो गांव आकर रहने लगे।
गांव में भी कोई रोजगार नहीं मिला तो बेरोजगार थे। इस कारण घर चलाना मुश्किल हो गया। 4-5 दिन पहले एक बच्चा बीमार हो गया तो आर्थिक तंगी के कारण उसका भी इलाज नहीं करा पाए। इस कारण मेरे पति अवसाद में थे और अचानक मेरी गैरहाजिरी में जहर खा लिया। इलाज के लिए बांका अस्पताल ले गए, जहां से बेहतर इलाज के लिए भागलपुर रेफर कर दिया था।
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