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सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनकर तैयार..लेकिन डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हुई:3 साल पहले 200 करोड़ की लागत से हुआ था निर्माण, 35 डॉक्टर, 80 नर्स और 90 स्टाफ की आवश्यकता

भागलपुर2 महीने पहले
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कार्मेल स्कूल के बगल में बना सुपर स्पेशलिएटी अस्पताल। यह अब तक चालू नहीं हुअा है। - Dainik Bhaskar
कार्मेल स्कूल के बगल में बना सुपर स्पेशलिएटी अस्पताल। यह अब तक चालू नहीं हुअा है।

सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल काे जरूरत है...अच्छे डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की। 200 करोड़ से बननेवाले सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के लिए एक्सपर्ट डॉक्टर और इसी तरह के नर्स, असिस्टेंट, ओटी असिस्टेंट, ड्रेसर समेत तमाम तरह के एक्सपर्ट टेक्नीशियन की यहां जरूरत है। अगर आपके पास इससे संबंधित डिग्री और अनुभव है ताे आप जरूर इसके लिए कोशिश कर सकते हैं। एेसे एक्सपर्ट के लिए स्वास्थ्य विभाग खुद ही बाट जोह रहा है।

इसके लिए इसी वर्ष जनवरी में स्वास्थ्य विभाग ने पटना से वैकेंसी भी जारी की थी, बावजूद इसके अभी तक चयन प्रक्रिया पूरी नहीं हाे सकी है। हॉस्पिटल में ओपीडी सेवा तत्काल शुरू की जा सकती है। लेकिन मैनपावर नहीं रहने से अब तक इसे शुरू नहीं किया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, डॉक्टर और अन्य मैनपावर की नियुक्ति के लिए सरकार काे पत्र भेजा गया है।

अस्पताल के सात विभाग में सात तरह की गंभीर बीमारियां का इलाज हाेगा। इसके लिए 35 स्पेशलिस्ट डॉक्टर, 80 नर्स और 90 पारा मेडिकल स्टाफ चाहिए। इन सभी की नियुक्ति के बाद ही अस्पताल चालू कर सकते हैं, इसलिए अभी तक नई डेडलाइन तय नहीं की जा सकी है। अस्पताल चालू नहीं हाेने से इलाके के हर माह औसतन दाे हजार से अधिक लाेग इलाज कराने के लिए बाहर जाने काे विवश हैं।

मायागंज आते हैं 18 जिलाें के मरीज, हर माह दाे हजार से ज्यादा हाे रहे रेफर

पैसे के अभाव में कुछ काम भी बाकी है। सीटी स्कैन समेत नेफ्राेलाॅजी के उपकरण व फर्नीचर लगाए जाने हैं। उपकरणों के इन्स्टॉल करवाने की जिम्मेदारी उठाने वाले डाॅ. महेश कुमार ने बताया कि अभी तत्काल 36 कराेड़ की जरूरत है। सरकार से पैसे मिलने पर ही एजेंसी सामान सप्लाई करेगी। मालूम हाे कि अस्पताल चालू करने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के तीन डेडलाइन फेल हाे चुके हैं। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भी इसे जल्द चालू करने के लिए कहा था।

अभी यहां मायागंज अस्पताल में बिहार-झारखंड के 18 जिलाें के मरीज इलाज के लिए आते हैं। गंभीर बीमारियों के हर माह दाे हजार से ज्यादा मरीज कोलकाता, दिल्ली व सिलीगुड़ी रेफर हाे रहे हैं। बूढ़ानाथ निवासी विनय सिन्हा की पत्नी सुचिता ने एलर्जी की शिकायत पर स्थानीय चिकित्सक से इलाज कराया। दवा के साइड इफेक्ट से 70 प्रतिशत फेफड़ा खराब हाे गया। बाद में कुलकता, दिल्ली, बेंगलुरू आदि जगहों पर इलाज कराया। लेकिन जान नहीं बची।

अगर यहां सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल रहता ताे बीमारी का पता शुरू में ही चल जाता। जान बच सकती थी। नवगछिया के पिंटू कुमार की 19 वर्षीय बेटी काे सीने में तकलीफ हुई। यहां के डॉक्टरों ने कोलकाता रेफर कर दिया। इलाज में अब तक करीब 70 हजार रुपये खर्च हाे गए हैं। यहां सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल रहता ताे बाहर नहीं जाना पड़ता।

इंडोर के हर दो बेड के लिए एक नर्स जरूरी

जेएलएनएमसीएच के पूर्व अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल के अनुसार सुपर स्पेशियलिटी के लिए हर विभाग में एक-एक प्रोफेसर, एसोशिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर की जरूरत होती है। दाे सीनियर रेजिडेंट भी चाहिए। 35 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की जरूरत हाेगी। 160 बेड के इंडाेर के लिए हर दाे बेड पर एक नर्स की जरूरत हाेगी। इसलिए 80 नर्स चाहिए। पारा मेडिकल स्टाफ व अन्य हेल्थ वर्कर काे मिलाकर 90 से ज्यादा स्टाफ की जरूरत हाेगी।

यहां के मरीज आते हैं भागलपुर : भागलपुर, मुंगेर, जमुई, लखीसराय, बांका, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज, खगड़िया, सहरसा, सुपाैल, मधेपुरा, गाेड्डा, देवघर, साहेबगंज, दुमका।

इन विभागों में होना है इलाज : नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, कार्डियोलॉजी, ट्राॅमा वार्ड व जेरिएट्रिक्स विभाग।

हर विभाग में इतने डॉक्टर चाहिए

प्रोफेसर-एक

सीनियर रेजिडेंट -दो

असिस्टेंट प्रोफेसर-एक

एसोशिएट प्रोफेसर-एक