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भागलपुरबिहार कृषि विश्वविद्यालय में 20 फरवरी से शुरू हाे रहे तीन दिन के दसवें किसान मेले में इस बार तकनीक व उद्यमिता काे फाेकस किया जाएगा। किसानाें काे कृषि यंत्राें के जरिए वैज्ञानिक खेती कर अपनी आय बढ़ाने का टिप्स दिया जाएगा।
फूड प्राेसेसिंग व उद्यान आधारित खेती काे अपनाकर आय बढ़ाने का तरीका सिखाया जाएगा। कृषि मंत्री मेले का उद्घाटन करेंगे। मेले में इस बार बिहार के अलावा यूपी व झारखंड के किसान भी आएंगे। करीब 50 हजार के किसान के मेले में आने का अनुमान है। पिछली बार 29 हजार किसान आए थे। मेले के लिए 19 फरवरी काे 11 बजे से किसानाें का रजिस्ट्रेशन हाेगा। इसके लिए बीस रुपए लगेंगे। रजिस्ट्रेशन कराने पर किसान काे एक थैला, पैड, पेन व कृषि से संबंधित छपी जानकारी दी जाएगी। बीएयू कैंपस समेत अन्य स्थानाें पर उनके ठहरने की मुफ्त व्यवस्था हाेगी। 60 रुपये थाली भाेजन मिलेगा।
सूबे के पहले कृषि उद्यमिता केंद्र का पहले दिन हाेगा उद्घाटन
किसानाें काे लाेन लेने में बैंक से सहूलियत के लिए 21 फरवरी काे विभिन्न जिलाें के बैंक अफसराें की बैठक बुलाई गई है। इसमें नाबार्ड के सीजीएम मुख्य अतिथि हाेंगे। 20 फरवरी काे ही सूबे के पहले कृषि उद्यमिता केंद्र का भी बीएयू में उद्घाटन हाेगा। राज्य सरकार ने नए उद्यमी बनाने में तकनीकी प्रशिक्षण देने के लिए बीएयू का चयन किया है। उद्यमिता व कृषि टेक्नाेलाॅजी का अलग से स्टाॅल भी लगेगा। नए कृषि यंत्राें की भी प्रदर्शनी लगाई जाएगी।
150 स्टाॅल लगेंगे, सभी हाे गए फुल बीएयू में पिछले साल की तुलना में इस बार दस अधिक स्टाॅल रहेंगे। बीएयू के सह निदेशक प्रसार शिक्षा डाॅ. अार.एन. सिंह ने बताया कि सभी 150 स्टाॅल बुक हाे चुके हैं।
नए युवा किसानाें काे भी जाेड़ेंगे इस बार मेला नए लुक में हाेगा। मेले से नए युवा किसानाें काे भी जाेड़ेंगे। मखाना, फल, सब्जी, शहद, औषधीय व सुगंधित पाैधाें, मक्का, चाय एवं बीज में प्रसंस्करण व उद्याेगाें काे बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग भी मदद करेगा। -आरके साेहाने, प्रभारी वीसी, बीएयू
खेती में अद्भूत आनंद है, लेकिन जरूरी है कि इसे मन से किया जाए। इसमें नया प्रयाेग हाे ताे यह किसान के जीवन काे बदल सकता है। बीएयू का किसान मेला इसके लिए बेहतर माध्यम हैं। मैंने 25 साल की उम्र से ही खेतीबारी शुरू की थी। पहले धान व गेहूं की खेती करता था। लेकिन इससे आय कम हाेती थी।
फिर बीएयू के संपर्क में आया। इसके बाद बागवानी काे अपनाया। 2011 में पहली बार बीएयू के किसान मेले में आया। वहां वैज्ञानिकाें की सलाह पर इलाहाबादी अमरूद व हल्दी की खेती की। इसमें काफी मुनाफा हुआ। बीएयू के वैज्ञानिकाें के मार्गदर्शन में ही आम, लीची, अमरूद व सागवान की नर्सरी भी तैयार की। इससे भी काफी लाभ हुआ। अपने तीनाें बेटाें काे पढ़ाई के बाद सफल किसान बनाया। बागवानी करने की प्रखंड व इलाके के दर्जनाें किसानाें काे ट्रेनिंग दी।
सबाैर के कृषि वैज्ञानिकाें से तकनीकी ज्ञान पाने के बाद कम लागत में अधिक मुनाफे की खेती का आइडिया अपनाया। आज मेरे तीनाें बेटे खुद खेती कर रहे हैं। दस एकड़ से अधिक में बागवानी है। किसान मेले में भाग लेने से पहले खेतीबारी में उतनी अाय नहीं हाेती थी जितनी हाेनी चाहिए थी। लेकिन अब वैज्ञानिक तरीके से खेती करने से खेती मुनाफे का साैदा है। 2007 में मुझे कृषि विभाग से किसान श्री का सम्मान मिला।
हर स्टाॅल काे देखें, वहां से आइडिया निकालें
किसानाें काे आय बढ़ाने के लिए नकदी फसलाें व फलाें की खेती करना जरूरी है। किसानाें मेले के हर स्टाॅल काे देखें। वहां से आइडिया निकालें कि वह अपने यहां काैन सी खेती कर सकते हैं। क्या उनके लिए अनुकूल है। जहां कुछ समझ में नहीं आए वहां, वैज्ञानिक से पूछें।
मेले में किसी भी सवाल काे लेकर भ्रम में नहीं रहे। पूरी जानकारी हासिल करें। संबंधित वैज्ञानिक का माेबाइल नंबर भी रखें। ताकि जरूरत के समय उनकी मदद ली जा सके। कृषि यंत्राें काे भी देखें। ये किसानाें के जीवन में काफी बदलाव ला सकते हैं। खुद की साेच व खेती के तरीके काे बदलने की जरूरत है। अाज पीरपैंती व कहलगांव का इलाका बागवानी की ओर अग्रसर है।
(लेखक पीरपैंती के बसंतपुर गांव के किसान हैं। इन्हें किसान श्री सम्मान मिल चुका है)
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