पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
टीएनबी कॉलेज के प्राचार्य रहते प्रभारी वीसी डॉ. संजय चौधरी पर 80 लाख की वित्तीय गड़बड़ी के आरोप को सही बताने वाली कमेटी ही अब सवालों के घेरे में आ गई है। कमेटी ने जो जांच करीब 22 माह पहले 13 मार्च 2019 को दी थी, प्रभारी वीसी बनने के दो माह बाद डॉ. संजय चौधरी ने अब जांच कमेटी के संयोजक एफए पद्मकांत झा काे शाेकाॅज किया है।
डाॅ. चाैधरी पर वित्तीय गड़बड़ी का आराेप तब लगा था, जब वे केवल टीएनबी काॅलेज के प्राचार्य थे। आराेपाें की जांच एफए के संयाेजन वाली कमेटी ने की थी। इसमें डाॅ. चाैधरी काे 80 में लगभग 70 लाख की वित्तीय गड़बड़ी का दाेषी पाया गया था। अब टीएनबी के प्राचार्य डाॅ. चाैधरी टीएमबीयू के प्रभारी वीसी भी हैं। इस हैसियत से उन्हाेंने एफए काे शाेकाॅज कर पूछा है कि उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राजभवन काे क्याें न लिखा जाए। 4 जनवरी काे एफए काे किए गए 6 पन्नाें के शाेकाॅज में उन बिंदुओं पर उनसे स्पष्टीकरण पूछा है, जिनके आधार पर कमेटी ने डाॅ. चाैधरी काे दाेषी बताया था। शाेकाॅज में प्रभारी वीसी ने एफए सहित कमेटी पर जानबूझकर प्राचार्य काे वित्तीय गड़बड़ी का दाेषी ठहराने, भ्रामक रिपाेर्ट देने और दुर्भावना से ग्रसित हाेकर रिपोर्ट देने की बात कही है। कमेटी के दाे अन्य सदस्याें के बारे में भी कहा है कि वे शिक्षक थे और वित्त से उनका सीधा नाता नहीं था।
जांच कमेटी ने इन 6 बिंदुओं पर कहा था दाेषी, अब इन्हीं पर पूछा गया है शाेकाॅज
1. रिपाेर्ट : विकास याेजनाओं के लिए मिली राशि का व्यय प्राचार्य बिना यूनिवर्सिटी की अनुमति के खर्च नहीं कर सकते हैं।
शाेकाॅज: जब राज्य सरकार ने खाते के संचालन की पूरी व्यवस्था बदलते हुए यूनिवर्सिटी की अनुमति की बाध्यता खत्म कर दी ताे व्यय गलत कैसे?
2. रिपाेर्ट : प्राचार्य जून 2018 में ही अपने आवास में प्रवेश कर गए और यूनिवर्सिटी के निर्देश के उलट 10 प्रतिशत आवास भत्ता लेते रहे।
शाेकाॅज: प्राचार्य आवास की मरम्मत अगस्त 2018 तक चलती रही। प्राचार्य के आवास में प्रवेश का साक्ष्य देने के बावजूद झूठा आराेप लगा दाेषी ठहराने का प्रयास क्याें किया गया?
3. रिपाेर्ट : प्राचार्य भत्ता प्रतिमाह दाे हजार रुपए के बदले तीन हजार रुपए लेते रहे।
शाेकाॅज: मामले में कार्यालय से साक्ष्य देने के बावजूद सीधा प्राचार्य काे दाेषी कैसे माना जा सकता है?
4. रिपाेर्ट : एसीपी, एमएसीपी के एरियर का भुगतान एसडब्ल्यूएफ खाते से बिना यूनिवर्सिटी की अनुमति के लिए हुआ।
शाेकाॅज: यह जानकारी कहां से मिली? आश्चर्यजनक है कि एसडब्ल्यूएफ खाता 2015 के बाद अस्तित्व में नहीं है ताे इससे भुगतान कैसे किया गया?
5. रिपाेर्ट : यूनिवर्सिटी में इंजीनियर रहते हुए निजी इंजीनियर से एस्टीमेट बनाया गया, जाे गलत है।
शाेकाॅज: पूर्व वीसी आरएस दुबे ने रिटायर्ड इंजीनियर अशाेक कुमार सिन्हा से काम लेने की अनुमति दी थी। अशाेक सिन्हा की मृत्यु के बाद काॅलेज डेवलपमेंट काउंसिल के निर्णय के बाद नगर निगम के इंजीनियर से काम लिया, जिसका अनुमाेदन तत्कालीन प्रभारी वीसी एलसी साहा ने दिया था। यह गलत कैसे?
6. रिपाेर्ट : कर्मचारियाें के असहयाेग के कारण बाकी आराेपाें की जांच नहीं हुई।
शाेकाॅज: कमेटी ने कब-कब काॅलेज से डाॅक्यूमेंट की मांग की और काॅलेज ने किन-किन पत्राें से जवाब दिया, इसका साक्ष्य दें।
शाेकाॅज का देंगे जवाब
शाेकाॅज मिला है। तैयारी की जा रही है। जल्द ही जवाब दे दिया जाएगा। -पद्मकांत झा, एफए
पॉजिटिव- आप प्रत्येक कार्य को उचित तथा सुचारु रूप से करने में सक्षम रहेंगे। सिर्फ कोई भी कार्य करने से पहले उसकी रूपरेखा अवश्य बना लें। आपके इन गुणों की वजह से आज आपको कोई विशेष उपलब्धि भी हासिल होगी।...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.