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नगर निगम क्षेत्र के विकास की योजनाओं के शिलान्यास में शिलापट्ट पर मेयर सविता देवी के पति प्रताप सिंह का नाम अंकित किए जाने को लेकर नगर निगम की सियासत गरमा गई है। जदयू जिलाध्यक्ष श्रीप्रसाद महतो ने मेयर पति प्रताप सिंह पर सीधा वार करते हुए कहा कि उनकी आपराधिक पृष्टभूमि रही है।
वहीं, प्रताप सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि श्रीप्रसाद महतो का खुद गुंडा पंजी में नाम है। बहरहाल, शिलापट्ट पर प्रताप सिंह के नाम को लेकर इसकी लिखित शिकायत मुख्यमंत्री सहित संयुक्त सचिव नगर विकास एवं आवास विभाग से की गई है।
जदयू जिलाध्यक्ष व वार्ड-13 के पार्षद श्रीप्रसाद महतो ने सीएम व सेक्रेटरी को दिए अपने आवेदन में लिखा है कि नगर निगम के मेयर पति प्रताप सिंह विकास योजनाओं से जुड़े शिलापट्ट पर स्थानीय विधायक और विधान पार्षद का नाम अंकित करने के बजाए अपना नाम लिखवाते हैं।
उन्होंने कहा कि नगर निगम की महापौर सविता देवी के पति प्रताप सिंह द्वारा निगम में भय का वातावरण पैदा कर सरकारी नियमों एवं स्थापित मान्यताओं की धज्जियां उड़ाई जा रही है। श्री महतो ने आवेदन में लिखा है कि महापौर सविता देवी के पति प्रताप सिंह की पृष्ठभूमि आपराधिक रही है, जिसके कारण कोई विरोध नहीं करता है।
उदाहरण के तौर पर नगर निगम क्षेत्र में विकास योजनाओं के शिलापट्ट पर महापौर के नाम के साथ-साथ महापौर पति प्रताप सिंह अपना नाम लिखवा रहे हैं, जो नियम के प्रतिकूल है। मेयर पति ने अपने लिए समाजसेवी शब्द इजाद किया है, जो नगर निगम में कोई पद नहीं होता है। जिलाध्यक्ष व वार्ड पार्षद श्रीप्रसाद ने लिखा है कि शिलापट्ट पर नाम अंकित करने की नई परिपाटी पर रोक लगाई जाए।
शिकायत में लिखा-प्रताप सिंह योजनाओं से जुड़े शिलापट्ट पर विधायक की जगह अपना नाम लिखवाते हैं
महापौर सविता देवी के पति प्रताप सिंह ने कहा कि शिलापट्ट पर मेरा नाम स्थानीय कुछ उत्साहित लोगों द्वारा अंकित करा दिया गया है। किस शिलापट्ट पर मेरा नाम है, यह मुझे पता नहीं है। जहां 20 वर्षों से कोई काम नहीं हुआ था। वर्तमान महापौर के कार्यकाल में वहां काम हो गया। इससे उत्साहित होकर लोगों ने शिलापट्ट पर मेरा नाम लिखवा दिया है, जो गलत है।
लोग यह जान ही रहे हैं कि महापौर सविता देवी प्रताप सिंह की पत्नी हैं। मेयर पति प्रताप सिंह ने कहा कि जदयू के जिलाध्यक्ष व वार्ड-13 के वार्ड पार्षद श्रीप्रसाद महतो पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखें। उनका नाम आज भी केहाट थाना के गुंडापंजी में दर्ज है।
पूर्व में कई हत्या व छिनतई की घटना में भी उनका नाम आया था। वे अपने जमाने में एक बाहुबली के शूटर के नाम से भी चर्चित थे। श्रीप्रसाद महतो 1990 से 2000 तक पूर्णिया में लूट, हत्या, डकैती आदि कांड का अभियुक्त रहा है।
मेरे संज्ञान में आते ही मैंने शिलापट्ट से नाम हटाने का निर्देश दिया : मेयर
मेयर सविता देवी ने कहा कि यह मामला मेरे संज्ञान में आते ही मैंने नगर-निगम के कर्मी को मेरे पति प्रताप सिंह का नाम शिलापट्ट से हटाने का निर्देश दिया है। शिलापट्ट पर उनका नाम कैसे दिया गया, इसकी जानकारी मुझे नहीं है।
आज की तारीख में मुझ पर एक भी मामला नहीं, ना ही गुंडापंजी में नाम : श्रीप्रसाद जदयू जिलाध्यक्ष व वार्ड-13 के पार्षद श्रीप्रसाद महतो ने कहा कि आज की तारीख में मुझ पर एक भी मामला दर्ज नहीं है। और ना ही गुंडापंजी में मेरा नाम ही है।
मेयर को जवाब देना चाहिए, शिलापट्ट में किस अधिकार से प्रताप सिंह का नाम : डिप्टी मेयर
शिलापट्ट पर महापौर के पति के नाम को लेकर मेयर और डिप्टी मेयर खुलकर आमने-सामने आ गई हैं। शिलापट्ट पर मेयर पति प्रताप सिंह का नाम अंकित किए जाने को लेकर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। डिप्टी मेयर विभा कुमारी ने विज्ञप्ति जारी कर मेयर पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि नगर-निगम बीते दो वर्षों में बदहाली के कगार पर पहुंच चुका है,जहां हर दिन नियम-कायदे का चीरहरण मेयर पति द्वारा किया जा रहा है और मेयर मूकदर्शक बनी हुई है।
मनमानी और नियम-कायदे की धज्जियां उड़ाने का शौक मेयर और मेयर पति को इस कदर है कि अनधिकृत रूप से विकास योजनाओं के शिलापट्ट पर मेयर पति का नाम दर्ज कराया जा रहा है। इस अवैधानिक और अराजक कृत्य की जितनी निंदा की जाय कम होगी। उप महापौर ने कहा कि मेयर को इस बात का जवाब देना चाहिए कि शिलान्यास के शिलापट्ट में किस अधिकार से उनके पति प्रताप सिंह का नाम दर्ज किया जाता है। क्या समाजसेवी या नगर सेवक पद का प्रावधान नगर निगम में है ?
उन्होंने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री जी द्वारा संज्ञान लिया जा रहा है और शीघ्र ही दूध का दूध और पानी का पानी होगा। शिलापट्ट में स्थानीय विधायक और विधान पार्षद की जगह मेयर पति का नाम होना घोर आपत्तिजनक है। दरअसल,नगर निगम को नरक निगम में तब्दील करने वाले पूर्व नगर आयुक्त के अनधिकृत रूप से अपने पद पर बने रहने पर जब राज्य सरकार गंभीर हुई तो उन्हें यहां से जाना पड़ा और अब आईएएस अधिकारी के योगदान मात्र से ऐसे तत्वों में खलबली मची हुई है, जिन्होंने नगर निगम को लूट निगम में तब्दील कर रखा है।
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