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पूर्णिया विश्वविद्यालय के मॉडल कॉलेज पूर्णिया कॉलेज ने प्रैक्टिकल परीक्षा का नायाब तरीका खोजा है। गुरुवार को पूर्णिया विश्वविद्यालय ने डिग्री पार्ट टू की प्रैक्टिकल परीक्षा शुरू हुई। रसायन विभाग में आयोजित डिग्री पार्ट टू केमेस्ट्री की प्रायोगिक परीक्षा में 52 छात्रों ने हिस्सा लिया, जिसमें खुलेआम नकल चला। किसी भी छात्र ने प्रैक्टिकल नहीं किया। छात्रों के हाथों में बीकर की जगह मोबाइल थे। मोबाइल में आंसर देखकर छात्र बड़ी आसानी से उत्तर लिख रहे थे। परीक्षा में छात्र जिस तरह से परीक्षा दे रहे थे, उससे तो यही लग रहा था जैसे कॉलेज प्रशासन की मौन स्वीकृति हो। पूर्णिया कॉलेज प्रशासन का एक भी अधिकारी प्रैक्टिकल के दौरान छात्रों के बीच नहीं दिखे। कुछ छात्रों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कोरोना काल में हमलोगों का प्रैक्टिकल और पढ़ाई दोनों ऑफलाइन हुआ था। ऐसे में पढ़ाई पूरी नहीं हुई है। छात्रों से जब मोबाइल में देखकर आंसर लिखने की बात की गई तो उन्होंने बताया कि रहने दीजिए, हमलोगों के भविष्य का सवाल है। पहली पाली में पूर्णिया कॉलेज के छात्रों की रसायन विज्ञान के ऑनर्स का प्रैक्टिकल परीक्षा आयोजित हुई। इसमें पूर्णिया कॉलेज से 52 छात्र व छात्रा उपस्थित थे। दूसरी पाली में विज्ञान विषय के विभिन्न ऑनर्स पेपर की परीक्षा आयोजित हुई। इसमें 77 छात्र व छात्रा उपस्थित थे। दूसरी पाली में एनडी कॉलेज रामबाग, जीएलएम कॉलेज बनमनखी, एसएनएस वाय डिग्री कॉलेज रामबाग, महिला कॉलेज, आरएल कॉलेज माधवनगर, एमएल आर्या कॉलेज कसबा, बीएनसी कॉलेज धमदाहा के छात्र व छात्रा शामिल थे।
परीक्षा की ऐसी व्यवस्था तो बदलनी चाहिए
पूर्णिया विश्वविद्यालय के अंतर्गत दो मॉडल कॉलेज में एक पूर्णिया कॉलेज बहुत ही प्रतिष्ठित कॉलेज में गिनती होती है। यहां के कई पूर्व छात्र डॉक्टर, इंजीनियर, सिविल सर्विस, प्रोफेसर के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत है। पर वर्तमान प्रणाली पूर्णिया कॉलेज के साथ पूर्णिया विवि की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है। इस तरह से रसायन विषय में छात्र मोबाइल का सहारा लेकर प्रैक्टिकल दे रहे हैं, ऐसे में क्या ऐसे छात्रों का भविष्य सुरक्षित है। यह व्यवस्था बदलनी चाहिए।
कोरोना गाइडलाइन का भी नहीं किया गया पालन
पूर्णिया कॉलेज कैमेस्ट्री के साथ जूलॉजी बिल्डिंग में विज्ञान विषय का प्रैक्टिकल हो रहा है। ऐसे में कोरोना गाइडलाइन का तो बिल्कुल पालन नहीं किया जा रहा है। छात्र और छात्रा एक दूसरे की नकल उतारने के चक्कर में सब कुछ भूल गए। वहीं किसी भी छात्र व छात्राओं ने मास्क नहीं लगाया हुआ था। नियम के मुताबिक परीक्षा में दो छात्रों के बीच छह फीट की दूरी होनी चाहिए।
कदाचार करना ठीक नहीं : डॉ. आलम
मैं तो खुद निरीक्षण में गया था। जब गया तो सभी व्यवस्था ठीक थी। मेरे आने के बाद की बात की जानकारी नहीं है। अगर कदाचार की बात सामने आ रही है तो यह ठीक नहीं है। इस पर सख्त कार्रवाई होगी। फिजिकल डिस्टेंस के लिए विश्वविद्यालय को बताया गया था कि प्रैक्टिकल का समय बढ़ाया जाए।
डॉ. मरगुब आलम, परीक्षा नियंत्रक, पूर्णिया कॉलेज
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