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पूर्णिया विश्वविद्यालय के पीजी हिंदी विभाग के तत्वाधान में वसंत पंचमी के पावन पर्व पर सरस्वती के मानस पुत्र महाप्राण निराला की जयंती के अवसर पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसका विषय था “निराला काव्य का भाव जगत्: संदर्भ और संवेदना”। इसकी अध्यक्षता व उद्घाटन कुलपति प्रो.(डॉ.)राज नाथ यादव महोदय ने किया। इस वेबिनार में मुख्य वक्ता डॉ.आनंद प्रकाश त्रिपाठी हिंदी विभाग गौर सिंह विश्वविद्यालय सागर (मध्य प्रदेश), अतिथि वक्ता डॉ.प्रो.शिवप्रसाद शुक्ल हिन्दी विभाग, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), डॉ.मोहम्मद कमाल प्रधानाचार्य पूर्णिया कॉलेज ने राष्ट्रीय वेबिनार शामिल
थे। कुलपति ने अपने उद्घाटन भाषण में महाप्राण निराला को सरस्वती के मानस पुत्र का कर संबोधित किया और कहा कि निराला संपूर्ण भारतीय साहित्य की धरोहर है। उनकी रचना आज भी भारतीय जनमानस में सुरक्षित और संरक्षित है। उन्होंने राम की शक्ति पूजा, भिक्षुक, आदि कविताओं पर प्रकाश डाला और उनके काव्य ग्रंथों की चर्चा की। मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ) त्रिपाठी निराला को भारतीय नवजागरण का अग्रदूत कहा और
राम की शक्ति पूजा, सरोजस्मृति, तुलसीदास (खंडकाव्य) तथा अन्य रचनाओं की प्रासंगिकता को विस्तार से प्रेषित किया और कहा कि निराला जैसे कवि सदियों में पैदा होते हैं। अतिथि वक्ता प्रो.(डॉ) शिव प्रसाद शुक्ल ने निराला को छायावाद का सुदृढ़ स्तंभ कहकर उनकी कविताओं को तत्कालीन भारतीय जन-भावनाओं की अभिव्यक्ति बताया। इन्होंने निराला की कविता कुकुरमुत्ता, भिक्षुक, वह तोड़ती पत्थर, सरोज स्मृति, राम की
शक्ति पूजा आदि की अर्थ गर्भित व्याख्या की। इस के पूर्व कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ कामेश्वर पंकज, प्रो. प्रेरणा, डॉ पुरंदर दास ने पुष्प गुच्छ से कुलपति का स्वागत किया। विभागाध्यक्ष ने स्वागत भाषण में विषय प्रवेश पर भी वक्तव्य दिया। वेबिनार का संचालन डॉ.वंदना भारती ने किया। तकनीकी सहायक चालन प्रो.संजीत कुमार गुप्ता ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनामिका सिंह ने किया।
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