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  • The Lid Of The Safety Tank Was Closed For 24 Days, If You Had Left It Open A Day Earlier, Three Laborers Would Not Have Lost Their Lives.

सुरक्षा इंतजाम:24 दिन से बंद था सेफ्टी टैंक का ढक्कन, एक दिन पहले खोलकर छोड़ देते तो नहीं जाती तीन मजदूरों की जान

सहरसा2 वर्ष पहले
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मृत मजदूर सिकंदर की पत्नी और चारों अबोध बच्चे। - Dainik Bhaskar
मृत मजदूर सिकंदर की पत्नी और चारों अबोध बच्चे।

सेफ्टी टैंक की सेंटरिंग खोलने गए जिन तीन मजदूरों की बुधवार सुबह दम घुटने से मौत हुई, वे सभी बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के 24 दिन पूर्व बनी टंकी के अंदर गए थे। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे बंद टैंकों में कार्बन मोनो ऑक्साइड, हाइड्रो सल्फराइड, मिथेन सहित कई और ऑर्गेनिक गैस बन जाती है।

चूंकि टैंक में बाहर से ऑक्सीजन जाने का कोई रास्ता नहीं छोड़ा गया था, इस कारण विषैले गैस की चपेट में आने के बाद दम घुटने से एक-एक कर तीन मजदूरों की मौत महज कुछ ही मिनटों में हो गई। उल्लेखनीय हो कि यह हादसा बुधवार सुबह करीब 9 बजे सदर थाना क्षेत्र के वार्ड- 17, पंचवटी चौक स्थित कुंदन यादव के अर्द्धनिर्मित मकान में हुआ।

तीन मजदूरों की दम घुटने से मौत मामले में सुरक्षा इंतजामों की घोर लापरवाही बरती गई। तीनों मजदूरों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण और बिना जहरीली गैस अंदर से निकाले टैंक में जाने को कह दिया गया। इस लापरवाही से तीन गरीब परिवारों के जिंदगी उजड़ गई। बताया गया कि संत नगर, वार्ड- 35 निवासी सिकंदर दास सबसे पहले टैंक में गए और बेहोश हो गए। उनके भीतर घुसने के मात्र 5 मिनट के बाद दूसरा मजदूर खादीपुर, मुरबल्ला निवासी शंकर शर्मा घुसा।

उनका भी दम घुटा और वे भी बेहोश होकर टैंक में ही गिर गए। जिसके 5 मिनट के बाद उन दोनों की तलाश करने खादीपुर मुरबल्ला निवासी सोनू शर्मा टैंक के भीतर घुसे। लेकिन वे टैंक के खुले मुंह के सामने ही बेहोश होकर गिर पड़े। ऐसे में उनके अन्य साथी हो-हल्ला मचाने लगे। तीनों मजदूर को लोहे के सरिए की मदद से किसी तरह खींचकर बाहर निकाला गया।

टंकी में घुसने से पहले जहरीली हवा को निकाल देना चाहिए: विशेषज्ञ
मेडिकल कॉलेज के विधि विज्ञान विशेषज्ञ डा. अशोक कुमार यादव ने कहा कि लंबे समय से बंद खाली टैंक के अंदर प्रवेश से पहले ढक्कन कम से कम एक दिन के लिए खोल कर रखना चाहिए। किसी भी सेफ्टिक टैंक में दो ढक्कन का प्रावधान किया जाना चाहिए और उसका आकार भी बडा होना चाहिए। अंदर जाने से पहले टैंक के अंदर की जहरीली हवा को एगझास्ट कर नेचुरल हवा का फ्लो देना चाहिए। डा. यादव ने कहा कि सबसे बेहतर उपाय है कि दो ढक्कन और उसका आकार बड़ा होना चाहिए।

सहायता के आश्वसान पर माने लोग, एक घंटे बाद जाम हुआ समाप्त
घटना के विरोध में बुधवार की शाम मृतक सिकंदर यादव के परिजन उनके शव को लेकर घर पहुंचे। जिसके बाद सहरसा मधेपुरा बाईपास सड़क पर लाश रखकर जाम कर दी गई। लगभग एक घंटे तक सड़क जाम रही। जिसकी सूचना पर कहरा अंचलाधिकारी लक्ष्मण प्रसाद पहुंचे। उन्होंने परिजनों से बात की और उन्हें सरकारी सहायता दिए जाने का आश्वासन दिया। जिसके बाद एक घंटे से जारी जाम हटा ली गई।
सावधानी बरतकर अंदर जाते तो नहीं होता हादसा
विशेषज्ञों का कहना है कि सावधानी बरत टैंक के अंदर जाते तो शायद यह हादसा नहीं होता। सेफ्टी टैंक का ढक्कन पिछले 24 दिनों से नहीं खुला था। जगह की कमी से बरामदे के चारों दीवार को कंक्रीट से जोड़ कर टैंक बनी थी।

अभी केवल कुर्सी तक ही हो सका है मकान का निर्माण
पंचवटी चौक निवासी कुंदन यादव लगभग 10 धूर जमीन पर अपना घर बना रहे थे। अभी कुर्सी तक तक का काम हुआ है। बरामदे के नीचे सेफ्टी टैंक है। बांस बल्ले और लकड़ी के पट्टे को डालकर टैंक पर मोटी छत भी डाल दी गई। टैंक से निकलने और घुसने का मात्र करीब 3 फीट लंबा और 3 फीट चौड़ा सुरंगनुमा छेद बना दिया गया। टैंक चारों तरफ से बंद है। दूसरे कमरे के नीचे सोख्ता है। जिससे जहरीली गैस जमा हुई।

सेफ्टी टैंक में देना चाहिए दो ढक्कन, सोख्ता हो दूर
लॉर्ड बुद्धा कोसी मेडिकल कॉलेज के विधि विज्ञान विशेषज्ञ फोरंसिक मेडिसीन एंड टोक्सीकोलॉजी डॉ. अशोक यादव ने बताया कि सेफ्टी टैंक में दो ढक्कन का प्रावधान करना चाहिए। काफी दिनों से खाली टैंक में जहरीली गैस भर जाता है। जहां सेफ्टी टैंक की खुदाई की जाती है वहां की मिट्‌टी में वजह से भी गैस अधिक मात्रा में बन जाता है।

5-5 मिनट के गैप पर तीनों अंदर गए और बेहोश हो गए
वे लोग बीते डेढ़ महीने से कुंदन यादव का मकान बना रहे थे। बुधवार को वे, सिकंदर, शंकर, सोनू, मुकेश, जुबली सहित कुल आठ लोग काम करने पहुंचे थे। सुबह लगभग 9 बजे काम पर पहुंचे थे। जिसके बाद सेफ्टी टैंक का ढक्कन हटाया गया। टैंक का ढाई फीट लम्बा-चौड़ा ढक्कन हटाने के बाद सिको उर्फ सिकंदर दास अंदर घुसे। वे अंदर घुसते ही बिना कोई आवाज दिए बेहोश हो गए। जिन्हें निकालने के लिए पांच मिनट बाद शंकर शर्मा घुसे, वे भी अंदर बेहोश हो गए। दोनों को अंदर बेहोश देखने के 5 मिनट बाद सोनू शर्मा भी अंदर गया वे भी अंदर घुसते ही बेहोश हो गिर गया।
(जैसा कि प्रत्यक्षदर्शी व साथ करने वाले मिस्त्री सुनील दास ने बताया)