30 वर्षों से हर साल सरस्वती पूजा के दिन ब्रह्म बाबा स्थान पर लगने वाले मेले में भक्तों के लिए जंग बहादुर राय सुबह से शाम तक चापाकल चलाते हैं। चाहे किसी श्रद्धालु को पांव धोना हो, पूजा के लिए जल की जरूरत हो, स्नान की जरूरत हो अथवा पानी पीना हो। जंग बहादुर चापाकल के पास रहते हैं, जरूरत पड़ते ही चापाकल का हैंडल थामकर चलाने लगते हैं।
इसके एवज में जंग बहादुर किसी से एक पैसा तक नहीं लेते हैं। मेला व पूजा के लिये जरूरत पड़ने पर अपनी सामर्थ्य के मुताबिक मरम्मत भी कराते हैं। मजदूर जंग बहादुर यह सेवा-भाव तब से कर रहे हैं, जब उनकी उम्र 40 थी। अब इनकी उम्र 70 हो चुकी है। इस सेवा-कार्य के अब तक 30 वर्ष बीत चुके। जंग बहादुर के अनुसार वे जवान से बुजुर्ग हो गये हैं।
लेकिन सेवा का यह काल-क्रम आगे भी चलता रहेगा। जंग बहादुर कोईलवर प्रखंड में बीरमपुर गांव के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि समाज सेवा करने से जो सुख की अनुभूति होती है , वह आनंद किसी भी काम करने नहीं होता है। शुरू से ही समाज सेवा में मन लगा रहा। उन्होंने बताया कि लोगों की हमेशा मदद करता हूं। आने वाले दिनों में जितना संभव हो सकता है, इसी तरह लोगों की निस्वार्थ सेवा करता रहूंगा।
जब तक स्वस्थ रहूंगा, चापाकल चलाता रहूंगा- जंग बहादुर
जंगबहादुर ने बताया कि वीरमपुर के धनुपरा खरनाल ब्रह्म बाबा के समीप सरस्वती पूजा के दिन प्रत्येक वर्ष मेला लगता है। कई लोग, महिलाएं, बच्चे-बच्चियां, जवान-बुजुर्ग श्रद्धालु पहुंचते है। श्रद्धालुओं की सेवा के लिये सुबह से शाम तक चापाकल चलाता हूं। पहले ब्रह्म बाबा पास सरस्वती पूजा के दिन बड़ा मेला लगता था। वहां कई साल से देवी सरस्वती माता की मूर्ति की स्थापना कर पूजा की जाती है। इस कारण पहले से अधिक श्रद्धालु मेला में जुटते हैं।
जंगबहादुर पेशे से मजदूरी का काम करते हैं। उन्हें दो बेटा है, मोहित और रोहित। मोहित ड्राइवर है। रोहित बोकारो में प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है। बीरमपुर के अखिलेश कुमार ने बताया कि कई साल से जंग बहादुर राय को सरस्वती पूजा के दिन मेला में श्रद्धालुओं की सेवा के लिए चापाकल चलाते देख रहा हूं।
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