जिले में परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए परिवार नियोजन साधनों की उपयोगिता महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसको लेकर सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं। लेकिन सरकारी प्रयासों के इतर सामुदायिक सहभागिता भी परिवार नियोजन कार्यक्रमों की सफलता के लिए बेहद जरूरी है।
दो बच्चों में अंतराल एवं शादी के बाद पहले बच्चे के जन्म में अंतराल रखने की सोच के बाद भी महिलाएं परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाती है। इससे ही ‘अनमेट नीड’ में वृद्धि होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों में 21 करोड़ से अधिक महिलाएं अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं। लेकिन तब भी उनके द्वारा किसी गर्भनिरोधक साधन का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके पीछे आम लोगों में परिवार नियोजन साधनों के प्रति जागरूकता का आभाव प्रदर्शित होता है।
अनमेट नीड में 8.1 प्रतिशत की गिरावट
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार जिले में कुल 9.1 प्रतिशत अनमेट नीड है। आशय यह है कि जिले में 9.1 प्रतिशत महिलाएं बच्चों में अंतराल एवं परिवार सीमित करना चाहती हैं, लेकिन किसी कारणवश वह परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। जो पिछले चार साल में अनमेट नीड में 8.1 प्रतिशत की गिरावट हुई है। वहीं, जिले में 3.4 प्रतिशत ऐसी महिलाएं भी हैं, जो बच्चों में अंतराल रखने के लिए इच्छुक है। लेकिन फिर भी किसी परिवार नियोजन साधन का प्रयोग नहीं कर रही हैं।
मिशन विकास परिवार की शुरुआत की गयी : सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे-2016 के आंकड़ों के अनुसार बिहार की कुल प्रजनन दर 3.3 है। जिसका अर्थ है बिहार में प्रति महिला बच्चों की संख्या 3.3 है। वहीं, देश की कुल प्रजनन दर 2.2 है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य के 36 जिलों में परिवार नियोजन कार्यक्रम को विशेष प्रोत्साहित करने के लिए मिशन विकास परिवार की शुरुआत की गयी है।
इसके तहत गर्भनिरोधक साधनों के प्रति आम लोगों को जागरूक करने पर बल दिया गया है। इसके लिए आशा एवं एएनएम को प्रोत्साहित करने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि का भी प्रावधान किया गया है। पहले जहां महिला एवं पुरुष नसबंदी के लिए उत्प्रेरक को 300 रुपए दिये जाते थे, अब प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर प्रति महिला नसबंदी 400 रुपया दिया जा रहा है।
ये हैं अनमेट नीड के कारण
डॉक्टर ने कहा- सामूहिक सहभागिता की जरूरत
‘अनमेट नीड परिवार नियोजन में काफी बाधक है। इसके लिए जिला स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर तक परिवार नियोजन साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। वहीं, सरकारी अस्पतालों में हर महीने की 21 तारीख को परिवार नियोजन दिवस का भी आयोजन किया जाता है। इसके लिए सामूहिक सहभागिता की जरूरत है। जिसमें अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा भी सहयोग किया जा रहा है। इससे शीघ्र ही अनमेट नीड में कमी देखने को मिलेगी।’
- डॉ. अनिल भट्ट, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, बक्सर
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