बक्सर जिले में महावीरी झंडा महोत्सव के अवसर पर शहर में मंगलवार को भव्य महावीरी जुलूस निकला गया। जिसका इंतजार हर साल शहर वासियों को रहता है। जुलूस निकालने से पहले दो दर्जन अखड़ो पर विधि विधान से पूजा अर्चना किया गया। साथ ही पूरे बक्सर शहर को भगवा झंडे से पाट दीया गया।जुलूस के दौरान ढोल नगाड़े की थाप व डीजे की धून पर हजारों की तादाद में शामिल रामभक्त एक से बढ़कर एक करतब दिखाने का काम कर रहे है। शोभा यात्रा में श्रद्धालु बच्चे, बूढ़े व युवक जोश व उमंग के साथ थिरकते नजर आए। पूरा बक्सर शहर जय श्री राम के नारों से गूंज रहा हैं।
दो दर्जन से अधिक अखाड़ों में हुई पूजा
बता दें कि मंगलवार को जिले के दो दर्जन से अधिक अखाड़ें में महावीरी पूजा होती है। इसके पहले मात्र एक अखाड़ा हुआ करता था। लेकिन अब शहर के सभी मुहल्लों में लोग महावीरी झंडा का पूजा कर सभी झंडा को देर शाम राम मंदिर में इकठ्ठा किया जाएगा। जो पूरे बक्सर के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। मंगलवार को श्री चंद्र मंदिर प्रधान अखाड़ा ,उत्तरी ठठेरी बाजार, नवयुवक संघ ठठेरी बाजार,मल्लाह टोली ,हनुमान फाटक ,अमला टोली ,बारी टोली ,बालक दल ,गोला बाजार पुराना अखाड़ा ठठेरी बाजार ,थाना रोड ,पीपरपति रोड ,तड़का नाला ,रामरेखा घाट, तुरहा टोली ,सोहनी पट्टी, चरित्र वन ,कोरीपुरवा ,गजाधर गंज ,सरीमपुर अखाड़ा से मावीरीर रथ और शोभायात्रा निकाला गया ।
पारंपरिक शास्त्रों का दिखाया करतब
महावीर झंडा महोत्सव में पारंपरिक शास्त्रों के साथ करतब दिखाने की परंपरा काफी पहले से ही चली आ रही है। अखाड़ा के साथ शामिल सदस्य लाठी, डंडा, तलवार, भाला ,गदका,बनेठी से हैरत अंगेज कर्तव्य जगह जगह दिखाने का काम किया। इसके लिए एक महीने से युवाओं द्वारा रिहर्सल किया गया है। वहीं शहर में अप्रिय घटना से बचा जा सके इसको लेकर प्रशासन द्वारा हर चौक चौराहों पर भारी संख्या में पुलिस बल और मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति की गई है।ताकि जुलूस के दौरान कोई भी गड़बड़ी ना हो सके।
18 वीं शताब्दी में शुरू की गई पूजा
बताया गया कि जब 18 वीं शताब्दी में प्लेग जैसी महामारी फैली थी। उसी समय बक्सर में एक साधु ने परंपरा शुरू कराई थी। संकठ मोचन हनुमान की पूजा। शास्त्रों के अनुसार आरोग्य निधि का निर्माण कभी प्रभु हनुमान ने किया था। इसलिए जो उनकी पूजा निर्धारित विधि से करता है। उसे महामारी प्रभावित नहीं करती। तब से यह परंपरा बक्सर में चली आ रही है। हर साल होली के बाद जो पहला मंगलवार आता है। उस दिन यह जुलूस निकलता है। इस वर्ष भी 8 मार्च को होली थी। उसके बाद 14 मार्च मंगलवार आया। इस दिन यह पूजा शुरू की गई है। जो देर रात शहर भ्रमण के बाद संपन्न होगा।
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