आरा-मोहनिया हाईवे पर फोरलेन निर्माण में बनी ओवरब्रिज पर मिट्टी डालने का कार्य के लिए NHAI के ठेकेदार द्वारा आहर व अन्य जमीन से धड़ल्ले से मिट्टी खनन कर रहे हैं। जो कि खनन के नियमो के विरुद्ध हो रहा है।बताया गया कि खनन विभाग से जमीन पर मिट्टी खुदाई के लिए 3 फीट की अनुमति लेकर 6 फीट से अधिक मिट्टी खनन कर जमीन की गोद खाली कर दी जा रही है। ठेकेदार द्वारा मिट्टी खनन सिर्फ तेतरहर गांव के आहर से ही नहीं, बल्कि खेतों से भी तीन फीट से अधिक मिट्टी खनन कर रहे है।सूचना पर पहुंचे जिप सदस्य राजीव कुमार उर्फ राजू यादव उक्त गांव पहुंच आहर के जमीन से अवैध मिट्टी खनन पर रोक लगा । इसकी सूचना खनन विभाग, सिंचाई विभाग व सीओ को सूचना दh।
बताया जाता है कि तेतरहर गांव के लोगों ने आहर से मिट्टी खनन के एवज में मंदिर निर्माण के लिए ठेकेदार से सौदा किया गया है। इसके लिए ग्रामीणों ने ठेकेदार से लिखित लेने की जानकारी मिल रही है। हालांकि जांच में पहुंचे खनन विभाग के अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि ग्रामीणों ने वगैर सूचना के अपने मर्जी से आहर से मिट्टी खनन करा रहे हैं। लेकिन अभी रोक लगा दिया गया है।
क्या है नियम
जानकारी के अनुसार सरकारी जमीन हो या फिर गैर सरकारी जमीन, मिट्टी खनन के लिए विस्तृत जानकारी खनन विभाग को देना पड़ता है। ब्योरा में खाता संख्या, प्लांट संख्या एवं रकबा होना चाहिए। अगर दी गई जमीन ब्योरा से अलग हटकर मिट्टी खनन होती है, तो वह अवैध खनन होगी। जिसपर खनन विभाग द्वारा कार्रवाई करने की प्रावधान है। सूचना पर पहुंचे खनन निरीक्षण के पारसनाथ चौधरी ने निरीक्षण किया। आहर से तीन फीट से अधिक मिट्टी खनन होना पाया। हालांकि खनन निरक्षण के पहुंचने के पूर्व ठेकेदार पोकलेन व डंपर लेकर भाग निकले थे। जिसके बाद अधिकारी ने ग्रामीणों से एक सप्ताह में खाई को मिट्टी डालकर भरने का निर्देश दिया है।
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रति घन मीटर मिट्टी खनन करने पर 2 रुपए 33 पैसे की राजस्व राशि मिलती है। जबकि एनएचएआई के ठेकेदार द्वारा मिट्टी खनन पर राजस्व के संबंध में विभाग से पूछने पर जानकारी मिली कि एनएचएआई द्वारा मिट्टी खनन के लिए स्टेटमेंट पर मेंशन रहता है। जिसके पैमाइश से खनन विभाग को बिल के माध्यम से पेमेंट होती है। अगर देखा जाए तो अनुमति से अधिक मिट्टी खनन होने से राजस्व को लाखों रुपए की चुना लग रही है।
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