उपलब्धि:विपरीत परिस्थिति में भी डिस्कस थ्रो खेल में राज्य व देश का नाम रोशन करना चाहती है काजल कुमारी

इमामगंज11 दिन पहलेलेखक: अजय कुमार
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डिस्कस थ्रो का अभ्यास करती काजल - Dainik Bhaskar
डिस्कस थ्रो का अभ्यास करती काजल

नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले इमामगंज में जहां कभी सुनसान स्थान पर कोई भी जाने की हिम्मत नहीं कर पाते थे। वहां आज एक अकेली लड़की मोरहर नदी के कछार पर डिस्कस थ्रो का अभ्यास कर पूरे बिहार में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है।

जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित इमामगंज निवासी काजल कुमारी की मां बेबी देवी एवं पिता बिगन पासवान दूसरे राज्य में जाकर मजदूरी करते हैं। काजल घर में खाना बनाकर हाथ में डिस्कस लेकर एक किलोमीटर दूर मोरहर नदी के कछार पर पहुंच जाती है। जहां नदी के मुड़ेड़ पर खड़ा होकर नदी में डिस्कस थ्रो का अभ्यास करती है।

जिलास्तरीय प्रतियोगिताओं में ले चुकी है हिस्सा

काजल बताती है कि उन्हें पूर्व में दो बार विद्यालय की ओर से खेलने का अवसर प्राप्त हुआ है। वर्ष 2021 में जिलास्तरीय डिस्कस थ्रो में उन्होंने भाग लिया था। इस दौरान जहां डिस्कस में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। वहीं गोला फेंक प्रतियोगिता में जिलास्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त हुआ था। वहीं वर्ष 2022 में सहरसा में आयोजित राज्यस्तरीय खेल प्रतियोगिता में डिस्कस थ्रो में प्रथम एवं गोला फेंक प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त किया।

घर में मिलता है ताना

काजल बताती है कि उनके परिवार में लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं। वह नानी के घर में रहती है। यहां भी स्थिति ऐसी ही है। उसका परिवार खेल के महत्व को नहीं समझता है। खेलने जाने को खराब समझते हैं। वह बताती है कि गरीबी के कारण उनका खानपान भी काफी निम्नस्तर का है। काजल खेल के क्षेत्र में जिला व राज्य का नाम तो रौशन करना चाहती हैं, लेकिन उन्हें कहीं से सहयोग नहीं मिल पाता है। काजल ने बताया कि क्षेत्र में कोई इस प्रकार की संस्था या सेंटर नहीं है। जहां वे प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें।

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