गया में तपस्थली ढुंगेश्वरी से ज्ञान नगरी बोधगया की दूरी के घटते ही बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों की अब पैदल यात्रा शुरू हो गई है। किसी जमाने में भगवान बुद्ध ढुंगेंश्वरी पवर्त पर माता की साधना कर ज्ञान की खोज में बोधगया पहुंचे थे। वहीं अब श्रद्धालु और बौद्ध भिक्षु भी ढुगेंश्वरी से बोधगया और बोधगया से ढुंगेश्वरी की पदैल यात्रा में जुट गए हैं।
यह इसलिए अब संभव हो पा रहा है कि पहले बोधगया से ढुंगेश्वरी की दूरी 25 किलोमीटर से अधिक थी लेकिन अब वह घट कर आठ किलोमीटर में सिमट गई है। यह एक पुल बनने के बाद ही संभव हो पाया है। पुल के बीते दिनों उद्घाटन होने के बाद श्रद्धालुओं व बौद्ध भिक्षुओं और लामाओं की पैदल यात्रा सुबह और शाम देखते ही बन रहा है।
लाडपुर गांव के पास
ढुंगेश्वरी पहाड़ी बोधगया थाना क्षेत्र के लाडपुर गांव के निकट है। इसी पहाड़ी पर माता की प्रतिमा है। कहा जाता है कि इसी माता की भगवान बुद्ध ने ज्ञान के लिए अराधना की थी। इसके बाद ही वह आगे बोधगया के सुजाता गढ़ होते हुए बोधगया में पवित्र बोधि वृक्ष के नीचे साधना की थी जहां उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस वजह से से ढुंगेश्वरी से लेकर बोधगया की पैदल यात्रा श्रद्धालुओं और बौद्ध भिक्षुओं के लिए महत्वपूर्ण हो गई है।
करीब 200 से अधिक श्रद्धालु और लामा यात्रा में जुटे हैं। बीती 28 जनवरी को डिप्टी सीएम ने इस गांगो बिगहा के निकट बने पुल का उद्घाटन किया था। इसी के साथ उस पुल पर आवाजाही शुरू हो गई है। लोगों को ढुंगेश्वरी से बोधगया और बोधगया से ढुंगेश्वरी आने जाने में काफी सहूलितय का सामना करना पड़ रहा है।
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