गया जिले की मधुमक्खियां तीन महीने के लिए मध्यप्रदेश के भिंड-मुरैना जाने वाली हैं। वहां के खेतों में वे 3 महीने तक रहेंगी। सरसों के फूलों का पराग चूस कर शहद देंगी। ट्रिप की तैयारी जिले में बड़े और छोटे स्तर पर मधुमक्खी पालने वाले किसानों ने कर ली है। 12 तारीख को भिंड-मुरैना के लिए वे किराए की गाड़ी से निकल जाएंगे। इस ट्रिप पर मधुमक्खियों के साथ उनके पालने वाले भी होंगे।
जिले में बड़े स्तर पर मधुमक्खी पालन करने वाले और मोटिवेटर की भूमिका निभा रहे चिंतरंजन दास ने बताया कि यह निर्णय भिंड-मुरैना में जाकर सर्वे करने के बाद लिया गया है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियों के रहने के लिए 36 हजार में एक बीघा का बगीचा किराए पर तीन महीने के लिए लिया गया है। वहां मधुमक्खियों के बक्से रखे जाएंगे। दिन में मधुमक्खियां सरसों के खेतों में अटखेलियां करेंगी और उसके फूलों से पराग लेंगी। रात में वे बगीचे में रहेंगी।
1200 बक्से के साथ जा रहे किसान
चितरंजन दास ने बताया कि वे मधुमक्खियों के 1200 बक्से ले जा रहे हैं। पिछले साल 600 बक्से ले जाए गए थे। उन्होंने बताया कि एक बक्से से 25-30 किलो शहद निकलतता है। यानी कि 1200 बक्से से 30000 किलो शहद निकलेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि एमपी जो भी शहद निकलता है। उसे हम लोग वहीं बेच देते हैं। वहां खेत पर ही कई खरीदार आते रहते हैं, जो अच्छा दाम देता है। उसे हम बेच देते हैं। उन्होंने बताया कि तीन महीने के भीतर करीब 25 लाख रुपए तक के शहद की खरीद फरोख्त होगी।
तीन महीने तक रहेगी
मधुमक्खियां तीन महीने के लिए एमपी के भिंड मुरैना में प्रवास करेंगी। वे कोई घूमने के लिए नहीं बल्कि बेहतर कारोबार के लिए जा रही हैं। वहां वे भिंड-मुरैना के खेतों में खड़े सरसों के फूलों से पराग लेंगी और फिर उत्तम क्वालिटी का शहद देंगी।
25 लाख रुपए का मुनाफा
इस काम के लिए मधुमक्खियों के 1200 बक्से ले जाए जा रहे हैं जो करीब 30000 हजार किलो शहद तीन महीने में देंगी। इससे करीब 25 लाख का कारोबार होने की अनुमान है।
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