गया नगर निगम अपनी कारगुजारियों से लगातार चर्चा में बना रहता है। पिछले दिनों गया नगर विधायक सह बिहार विधानसभा में याचिका समिति के अध्यक्ष डा. प्रेम कुमार भी निगम में जनता की गाढ़ी कमाई के बंदरबांट का आरोप लगाते हुए इसकी जांच की मांग कर चुके हैं। निगम के सामने आए एक नए मामले ने एक बार फिर से नगर सरकार के क्रियाकलापों को कठघरे में ला दिया है।
नए मामले के अनुसार निगम के द्वारा प्रत्येक महीने सड़क के किनारे बने सामूहिक शौचालयों के मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। मजे की बात यह है कि इनमें से अधिकांश शौचालय देखरेख के अभाव में या तो बंद पड़े हैं अथवा टूट चुके हैं। गया रेलवे स्टेशन के समीप बने एक शौचालय का तो अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। बावजूद उसके मेंटेनेंस के नाम पर प्रत्येक महीने पैसे की निकासी की जा रही है।
सम्बंधित कर्मियों की मानें तो फरवरी 2020 में गया नगर निगम के द्वारा व्यक्ति वीवाईएएलआई इंफ्राटेक नामक कम्पनी को शहर के 50 स्थानों पर बनाए गए सामूहिक शौचालयों के मेंटेनेंस का जिम्मा सौंपा गया है। ज्ञात हो कि गया नगर निगम के द्वारा उक्त कम्पनी के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया था।
इसके तहत कम्पनी को शहर के 50 स्थानों पर अपने खर्च से शौचालय का निर्माण कराना था। इसके एवज में निगम द्वारा सभी शौचालय के मेंटेनेंस का खर्च उक्त कम्पनी को भुगतान किया जाना था। योजना के तहत कम्पनी ने एमओयू पर हस्ताक्षर तो कर लिए, लेकिन शहर में 50 की जगह 43 शौचालयों का ही निर्माण कराया।
विधायक डॉ. प्रेम ने भी निगम में जनता की गाढ़ी कमाई के बंदरबांट का आरोप लगा उठाई थी जांच की मांग
इन स्थानों पर टूटे पड़े हैं शौचालय
शहर के गया-बोधगया मुख्य मार्ग पर बकसुबिगहा के समीप बने शौचालय का पीछे का हिस्सा महीनों से टूटा हुआ है। इसके कारण उसका इस्तेमाल भी बंद है, लेकिन मेंटेनेंस के नाम पर आज भी पैसे की उगाही जारी है। कमोवेश अधिकांश शौचालयों का हाल यही है। कहीं पानी नहीं है तो कहीं गंदगी का अंबार लगा है, इसके कारण लोग इसके इस्तेमाल से परहेज कर रहे हैं।
बावजूद निगम द्वारा उक्त कम्पनी को इन शौचालयों के मेंटेनेंस के नाम पर प्रत्येक महीने लाखों रुपए का भुगतान किया जा रहा है। नागरिकों की मानें तो निर्माण के बाद से इन शौचालयों को देखने वाला भी कोई नहीं है। यहां पानी की भी व्यवस्था नहीं की गई है। कम्पनी द्वारा सिर्फ ढांचा खड़ा कर दिया गया है। इसके कारण जनता के टैक्स के पैसों से बने ये शौचालय मात्र शोभा का वस्तु बनकर रह गए हैं।
मेंटेनेंस के नाम पर ऐसे हो रही है लूट
निगम के द्वारा एमओयू के आधार पर शहर में बने 43 शौचालयों के मेंटेनेंस का जिम्मा वीवाईएएलआई इंफ्राटेक को दे दिया गया। मजे की बात यह है कि कम्पनी द्वारा गया नगर निगम से वैसे शौचालयों के मेंटेनेंस के नाम पर भी पैसे की वसूली की जा रही है, जो बेकार पड़े हैं अथवा जिनका अस्तित्व भी नहीं है।
धरती पर नहीं है शौचालय का अस्तित्व
वहीं दूसरी ओर गया रेलवे स्टेशन मार्ग में शनि मंदिर के समीप शौचालय के नाम पर सिर्फ टूटे-फूटे ईंट ही नजर आते हैं, लेकिन निगम की दरियादिली देखिये इसके मेंटेनेंस के लिए भी कम्पनी को प्रत्येक महीने राशि का भुगतान किया जा रहा है।
मेंटेनेंस के नाम पर 18161 रु. की निकासी
गया नगर निगम के संबंधित कर्मी की मानें तो एक शौचालय के मेंटेनेंस के नाम पर निगम के द्वारा 18161 रुपए प्रत्येक महीने भुगतान किया जा रहा है। इस प्रकार एक माह में 43 शौचालयों के मेंटेनेंस के नाम पर निगम के द्वारा 7 लाख 80 हजार 923 रुपए का खर्च किया जा रहा है।
कहते हैं जनप्रतिनिधि
उक्त योजना कारगर नहीं है। शौचलयों के मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ जनता के टैक्स के पैसों की बर्बादी की जा रही है। - प्रीति सिंह, वार्ड पार्षद, वार्ड संख्या-46
जनता की शिकायत पर काटी जाती है मेंटेनेंस की राशि
निगम के द्वारा कंपनी को सिर्फ मेनटेनेंस चार्ज का भुगतान किया जाता है। कम्पनी द्वारा अपने खर्च से शौचालयों का निर्माण कराया गया है। किसी शौचालय में कमी की शिकायत यदि जनता द्वारा की जाती है तो 24 घंटे के भीतर कंपनी को शिकायत को दूर करना है। नहीं तो मेनटेनेंस चार्ज से पांच सौ रुपये काट ली जाती है। - विनोद प्रसाद, सहायक अभियंता, गया नगर निगम
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