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न च खुद्दं समाचरे किन्चि येन विञ्ञू परे उपदेरूयुं, सुखिनो या खेमिनो होन्तु सब्बे सत्ता भवंतु सुखितत्तां अर्थात ऐसा कोई छोटा कार्य न करें, जिसके लिए दूसरे विज्ञ लोग उसे दोष दें। सब प्राणी सुखी हों। सबका कल्याण हो। सभी अच्छी तरह रहें। इस पाठ के साथ विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर आम लोगों के दर्शनार्थ खुल गया। 80 दिनों पर महाबोधि मंदिर के गर्भगृह के बाहर पहुंचने पर किसी श्रद्धालु ने जमीन चूमी, तो किसी की आंखों से बरबस आंसू निकले।
मौका था विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर बुधवार को आम श्रद्धालुओं के लिए खुलने का। प्रात: पांच बजे पौ फटने की लालिमा आकाश में दिखने लगी, चिड़ियों की कलरव ध्वनि से माहौल खुशगवार होने लगा। इसी समय विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर के बाहर सुरक्षाकर्मी अपनी सतर्कता बढ़ाने लगे, बीटीएमसी के केयरटेकर भिक्षु दीनानंद सफाइकर्मियों के साथ मंदिर परिसर की सफाई करवाने लगे। 5:09 बजे एक चीनी श्रद्धालु मंदिर दर्शन के लिए पंक्ति में खड़ा हो गया।
इसके बाद एक-एक कर कई देशों व स्थानीय बौद्ध भिक्षु कमल का फूल लेकर बुद्ध की प्रार्थना के लिए कतारबद्ध होना शुरू किया। 5:55 मिनट पर बीटीएमसी सचिव नांजे दोरजे, सदस्य डा अरविंद कुमार सिंह, मुख्य भिक्षु चालिंदा, भिक्षु दीनानंद, भिक्षु डॉ मनोज, भिक्षु बोधानंद मंदिर के द्वार संख्या चार पर पहुंचे और 10 सीढ़ी उतरकर 142 कदम चल गेट संख्या दो पहुंचें। वहां से 22 सीढ़ी नीचे उतरकर, 36 कदम चल कर गर्भगृह में प्रवेश किया।
श्रद्धालुओं के लिए समय निर्धारित
मंदिर में आम श्रद्धालु प्रात: छह से नौ बजे और सायं चार से छह बजे तक ही जा सकेंगे। बौद्ध भिक्षु सुबह 5:30 से 06:00 बजे और सायं 06:00 से 07:00 बजे तक सुत्तपाठ करेगें। मंदिर की सफाई सुबह 5:00 से 5:30 के बीच होगी। पहले दिन सुबह में पहले घंटे में 49 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। चीन, थाइलैंड, वियतनाम, तिब्बत सहित अन्य देशों के बोधगया में रह रहे बौद्ध श्रद्धालु व भिक्षुओं ने पूजा की।
गेट चार से प्रवेश
मंदिर का गेट एक व दो का सौंदर्यीकरण चल रहा है। इसी कारण गेट चार से प्रवेश कर श्रद्धालु गेट के निकट पहुंचकर नीचे उतरते हैं और पूजा के बाद पश्चिमी गेट संख्या पांच से निकासी होगी। 22 सालों के बाद गेट चार से श्रद्धालुओं का प्रवेश शुरू हुआ है। पहले गेट चार ही मुख्य गेट हुआ करता था। जापान के सहयोग से बाहरी परिसर के सौंदर्यीकरण के बाद चार को बंद कर दिया गया और एक व दो से प्रवेश शुरू हुआ था।
शुरू हुआ व्यवसाय
पहले दिन ही फूलों की बिक्री दिखी। कमल फूल सहित अन्य फूलों की बिक्री हुई। बीटीएमसी गेट के निकट फूल विक्रेता प्रसन्न दिखें और कहा, अब बिक्री शुरू होगी, गृहस्थी भी ठीक होगा। मंदिर में श्रद्धालुओं के आने से फूटपाथी दुकानदारों की संभावनाएं भी जगेगी।
लॉकडाउन में होती थी सुत्तपाठ
22 मार्च से महाबोधि मंदिर को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया था। इसके बाद 27 मार्च से प्रात: व सायंकालीन सुत्तपाठ की शुरूआत हुई। इसी दौरान परिसर की सफाई व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई थी।
सभी को दिया सेनेटाइजर व फेस
सभी श्रद्धालुओं को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश से पहले सेनेटाइजर दिया गया। सभी के लिए मास्क अनिवार्य था। बीटीएमसी उन श्रद्धालुओं को मास्क व फेस शील्ड उपलब्ध कराया। थाई भिक्षुणी ने भी फेस शील्ड लोगों के बीच बांटा।
भगवान बुद्ध के दर्शन कर खिले चेहरे
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