कभी शिक्षा में बिहार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहराया करता था, लेकिन आज उसकी बदहाली राज्य की स्थिति का पोल खोल रही है। सरकार शिक्षा पर कितना ध्यान दे रही है, यह विभिन्न विवि में शिक्षकों के रिक्त पदों से पता चलता है। मगध विश्वविद्यालय के कॉलेजों व स्नातकोत्तर विभागों में शिक्षकों का संकट जारी है। राज्य सरकार के आदेश तथा छात्रसंघों की मांग पर पीजी में पचास फीसदी सीटें तो बढ़ा दी गई, किन्तु शिक्षकों के पद 1977 के बजट के अनुसार स्वीकृत पदों से भी घटकर आधी से भी कम हो गई है। इस कमी को दूर करने के लिए नवंबर 2017 अर्थात साढ़े चार साल पहले इसके लिए गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति होनी थी, पद विज्ञापित हुए, लेकिन आजतक मगध विवि में इनकी नियुक्ति नहीं हुई। राज्य सरकार के दावे कि विवि व कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है, लेकिन शिक्षाविद क्वालिटी एजुकेशन के राज्य सरकार के घोषणा पर ही सवाल खड़ा करते हैं।
430 पदों पर होनी थी नियुक्ति
सरकार द्वारा सृजित 1028 पदों में 147 रिक्त पदों को रेशनलाइजेशन के नाम पर खत्म कर दिया गया। 577 खाली पद में रेशनलाइजेशन के बाद 430 पद रिक्त माने गए थे, जिनपर गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति होनी थी। अन्य विवि में नियुक्ति हो चुकी है या इसकी प्रक्रिया चल रही है।
विषयवार शिक्षकों की रिक्त पदों की संख्या
विषय स्वीकृत पद वर्किंग पद रिक्ति हिंदी 83 40 43 संस्कृत 15 10 05 अंग्रेजी 77 35 42 उर्दू 49 14 35 मगही 00 00 00 पालि 0 06 04 मैथिली 02 01 01 पर्सियन 02 01 01 प्राचीन इतिहास 35 22 13 मनोविज्ञान 69 24 45 होम साइंस 05 04 01 संगीत 01 01 00 राजनीति शास्त्र 83 38 45 अर्थशास्त्र 84 35 49 इतिहास 55 17 38 विषय स्वीकृत पद वर्किंग पद रिक्ति समाजशास्त्र 31 11 20 दर्शनशास्त्र 62 32 30 कामर्स 26 10 16 एलएसडब्लू 02 01 01 बौद्ध अध्ययन 00 00 00 बांग्ला 03 00 03 भौतिकी 66 22 44 रसायन 64 25 39 बॉटनी 47 18 29 जूलॉजी 53 24 29 रूरल इकॉनोमिक्स 02 01 01 गणित 59 27 32 भूगोल 43 32 11 स्रोत: मगध विवि पत्रांक जीआईए/2020 तिथि 05 जनवरी 2020
1 आरक्षण में भ्रम प्रकाशित विज्ञापन में रोस्टर के आधार पर आरक्षण नहीं है। इसके कारण नियुक्ति प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। जनवरी 2020 में विवि ने रोस्टर के आधार पर आरक्षण की सूची भेजी, पर मामला अभी भी फंसा है। दूसरे, हाल के सालों में सरकार ने सैन्य विकलांगता व सवर्ण आरक्षण 10 फीसदी निर्धारित किया है। इसमें भी पेंच है, अगर किसी विभाग में पहले से पद पर नियुक्त शिक्षकों में सवर्ण की संख्या अधिक होगी, तब विज्ञापित पद का उसमें समायोजन हो जाएगा।
2 -मगध विवि कार्यालय ने बताया, विवि ने विज्ञापन ही गलत निकाला था। विज्ञापन में न तो रोस्टर के आधार पर आरक्षण का और न ही पदों की संख्या बताई गई थी। हालांकि आवेदनों की छंटाई हो चुकी है, मार्क्स का टेबुलेशन भी हो चुका है। बस इसी पेंच में सारी प्रक्रिया फंसी है।
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