एक तरफ जहां पूरे विश्व में कोरोना ने तबाही मचा रखी है और अब तक लाखों जिंदगियां लील लीं है। तो वहीं गया जिले स्थित एक ऐसा गांव है जहां लोग आज भी कोरोना वायरस जैसी घातक बीमारी से अंजान बने बैठे हैं। ऐसा ही गांव बाराचट्टी क्षेत्र के वुमेर पंचायत के जंगलों एवं पहाड़ों के बीच बसा भागलपुर एवं गुलरवेद है। जहां के लोगों को कोरोना का डर नहीं है।
यहां के लोगों का कहना है कि गांव में रहने वालों को कभी कोरोना नहीं हो सकता है। हमलोग सादी जिंदगी जीते हैं। जड़ी-बूटी हमेशा खाते रहते हैं इससे हमलोग को कोई बीमारी नहीं होती है। यहां के लोगों का दावा है कि जब उन्हें कोई लक्षण हुआ ही नहीं है तो वे जांच क्यों कराये। जब कभी बीमार ही नहीं हुए तो टीका भी क्यों लें।
हमनी हीं कोरोना नै अयतै
बाराचट्टी क्षेत्र के वुमेर पंचायत के जंगलों एवं पहाड़ों के बीच बसा गांव भागलपुर एवं गुलरवेद ऐसा गांव है जहां के लोगों को कोरोना का डर नहीं है। इन गांवों के ग्रामीणों का कहना है कि हम लोगों को कभी कोरोना हो ही नहीं सकता। भागलपुर में लगभग 50 घर तथा गुलरवेद में 76 घरों की बस्ती है जहां के अधिकांश लोग महादलित है। यहां का एक भी व्यक्ति ना तो कोरोना की जांच करवायी और ना ही कोरोना वैक्सीन ली। भास्कर की
टीम जब भागलपुर पहुंची तो एक चबूतरे पर पेड़ के नीचे बैठी कुछ महिलाएं आपस में बातचीत कर रही थी उनसे बात करने पर कलवा देवी एवं कारी देवी कहती है कि “हमनी जंगल के जड़ी बूटी खा ही नाला ढोड़हा के पानी पीअ हीय इ से हमनी के कुछ ना होतै।
गांव में नहीं पहुंची जांच टीम
ग्रामीणों ने बताया कि अब तक कोई स्वास्थ्य कर्मी यहां नहीं आएं है सिर्फ एक दिन मजदूर किसान संस्थान से एक व्यक्ति आए थे जिन्होंने हम लोगों को कोरोना से बचने के लिए अच्छी-अच्छी बातें समझाएं और जो लोग मौजूद थे उन लोगों को मास्क दिया। बगल के गांव मे वैक्सीन तथा जांच के लिए कैंप लगा था।
लेकिन हमलोग वहां नहीं गए।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बाराचट्टी के प्रबंधक राकेश रंजन से बात करने पर उन्होंने बताया कि गांव में जाकर जांच करने में काफी परेशानी आ रही है। कोई जांच करवाना नहीं चाहता है। हम लोगों की टीम बड़की चापि, डांग ,जहजवा सहित कई गांव में गई लेकिन वहां के लोग जांच करवाने में अपनी रुचि नहीं ले रहे हैं। किसी - किसी गांव में जांच टीम जा रही है तो 20 से 25 आदमी हीं जांच करवाते हैं।
झोलाछाप डॉक्टर ही एकमात्र सहारा
गूलरवेद पहुंचने पर देखा गया कि कुछ लोग एक बरामदे में बैठकर ताश खेल रहे हैं इस दौरान वे ना तो मास्क लगाए हैं और ना ही सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हैं। गुलरवेद के देवकी मांझी एवं दुखन मांझी सहित कई महिलाओं ने बताया कि हम लोगों को थोड़ा बहुत अगर सर्दी बुखार खांसी होता है तो गांव में ही सेवई एवं धनामा गांव से गांव के डॉक्टर आते हैं उन्हीं से सुई दवाई ले लेते हैं जिससे हम लोग ठीक हो जाते हैं कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं होती। हम लोग जंगली जड़ी बूटी ,जंगली हवा पानी लेते हैं जो शुद्ध है और हम लोगों को कोई बीमारी नहीं हो सकता।
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